आज सोचा कि
जिंदगी की तन्हाई पर नही
हर रात मुझे गुदगुदाता है जिसका अहसास
अकेले से बिस्तर की उस रजाई पर लिखू
उन बातों पर नहीं
जिनसे बेमानी हो गए थे रिश्ते
उन मुलाकातों पर लिखूं
जिन्होंने हर बार दे छोड़ी
दोबारा मिलने की एक वजह
उन किस्सों को न फिर से आम करूँ आज
जिन्होंने हर खास पल को बना दिया था खोखला
अब लिखूं वो कहानिया
जिन्होंने राजा रानी की ख़त्म हो चुकी कहानी को भी
आगे बढ़ाने का होंसला दिया
करूँ कुछ ऐसा क़ि
चाँद शर्माए और शिद्दत भी शर्मिंदा हो जाए
देश दुनिया से दूर किसी द्वीप पर '
कोई ताजमहल नहीं
एक तस्वीर बन आऊं
बस एक वो ही न जान पाए
उसकी बेकरारी का मुझ पर असर
और सारी कायनात को खबर हो जाए
क्यूँ लिखूं मैं कुछ दिल पर
दिल की बातों पर
या दिल के बारे में
आज जिक्र करना चाहिए मुझे धड़कन का
जिसने दिल के हर बदलते रुख को दिया है
आगे बढ़ने का रास्ता
ख्वाइशों और खामोशियों पर जाने कितना कुछ लिखा गया है आज तलक
आज सोचती हूँ लिखूं उन इशारों पर
जिन्होंने हर बार किया था खबरदार
दिल की बातों में बह जाने से
दिखाया था आईना कई बार
मिलाया था
मेरे ही अक्स में मेरी जिंदगी से जुड़े हर अफ़साने से
उसने नहीं लिखे थे कभी ख़त मुझे
भेजे थे कुछ एस ऍम एस
संक्षिप्त सन्देश सुविधा के तहत
आज रोक लूँ मैं किसी तरह खुद को
न पढूं दोबारा से उन शब्दों को
जिन्होंने हकीकत से रुसवा कर दिया मुझे
आज याद करूँ उन इमारतों को
जहाँ बचपन में मैंने अनजाने ही लिख दीये थे
दो नाम
एक बेनाम प्रेम कहानी के
क्यों ? ? ? ? ? ? ? ? ? ? ?
सही सोचा है न मैंने
जिंदगी की तन्हाई पर नहीं
अकेले से बिस्तर की रजाई पर लिखूं