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शुक्रवार, 11 जून 2010

कलयुग की माया


ये द्वापर युग नही है न ही सतयुग .
कि यहाँ कंस और रावन जैसे राक्षस मिले 
लेकिन ये जो कलयुग है 
यहाँ भी लोग कम मायावी नही है 
हर बदलते पल के साथ यहाँ लोगों का नजरिया और व्यवहार बदल जाता है 
जाने कैसे ये लोग पल भर में प्यार को नफरत और नफरत को प्यार बना कर पेश कर देते है ..............


कमजोरी

उस दिन हैंड ड्रायर से हाथ सुखाते हुए मैंने सोचा काश आंसुओं को सुखाने के लिए भी ऐसा कोई ड्रायर होता . . फिर मुझे याद आया आंसुओं का स...