शनिवार, 10 अप्रैल 2010

एक जगह



जनसत्ता में अभिव्यक्ति को मिली जगह  



जोश है जज्बा है जूनून है और है जुस्तजू भी
चाहिए तो बस वो जमीन जहाँ अपने लिए एक जगह बना सकू


2 टिप्‍पणियां:

Prataham Shrivastava ने कहा…

badhai ho bhai aage aage dekho zmeen nahi aasma bhi milega

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

कमजोरी

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