सोमवार, 5 अप्रैल 2010

मुस्कुराने की आदत

दर्द से कभी सिर्फ एक रिश्ता था
अब याराना हो गया है
हर रोज का ही आना जाना हो गया है
कभी आसुओं कि दवा मिल जाया
करती थी अब परहेज के तौर पर
आदत मुस्कुराना हो गया है

8 टिप्‍पणियां:

Jandunia ने कहा…

भई हम तो मुस्कुराते रहते हैं। अच्छी रचना है.

M VERMA ने कहा…

सुन्दर रचना
आपके ब्लोग पर टिप्पणियाँ सफेद रंग में होती हैं पढना मुश्किल होता है.

Shekhar Kumawat ने कहा…

BAHUT KHUB

shekhar kumawat

http://kavyawani.blogspot.com/

Dev ने कहा…

बेहतरीन रचना ....

कुश ने कहा…

परहेज...! क्या बात है..!

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

संजय भास्‍कर ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
संजय भास्‍कर ने कहा…

ise blog par post karne ki izajat chaiye himani ji...
mere blog title se mail khati hai.

कमजोरी

उस दिन हैंड ड्रायर से हाथ सुखाते हुए मैंने सोचा काश आंसुओं को सुखाने के लिए भी ऐसा कोई ड्रायर होता . . फिर मुझे याद आया आंसुओं का स...