गुरुवार, 22 जुलाई 2010

बारिश की शोख अदाएं अब सिर्फ सुर्खियां

 बारिश की वो शोखियां सड़कों के ट्रैफिक और नालों से बाहर आते पानी के बीच कहीं खो गई हैं। इन्हें ढूंढने का वक्त किसी के पास नहीं है क्योंकि हर कोई जल्द से जल्द घर पहुंचना चाहता है। और घर पहुंच कर पहला वाक्य निकलता है आफत आ जाती है बारिश में। पता नहीं कब जाएगी ये बारिश। और यहां हम सोचते हैं कि  मेघा बरसते ही रहें। बूंदे झरती ही रहे। और मिट्टी से वो सौंधी महक आती ही रहे हमेशा। चारो पहर।
                                        

बारिश...इस शब्द के होठों पर आते ही रुमानियत का जो अहसास दम भरने लगता है उसमें खुशी और ग़म दोनो रंग होते है। मौसम की पहली बारिश जाने क्या कुछ समेट लाती है अपने साथ। कुछ बीती बातें कुछ मीठी यादें या फिर एक नई याद कुछ नए जज्बात। साफ-सुथरे मौसम का यूं सीला सा हो जाना और सूखे से पत्तों का यूं गीला सा हो जाना।  एक बारिश और दो दृश्य।  एक के  बाद अगला। पहले बादलों की साजिश और बूंदो का झरना और फिर गीले से उन पत्तों से बूंदो का टपकना।  सोचती हूं तमाम लोगों को यूं अपनी ही दुनिया में मग्न कर देना भी तो कहीं आकाश की कोई चाल नही। चुपके से वो जो कहना चाहता है धरती से उसमें शायद उसे किसी का दखल पसंद नही है इसलिए ऐसा समां बांधता है कि हर कोई अपने ही मिलन और जुदाई के जोड़-घटा, गुणा-भाग में उलझ जाता है। हालांकि बारिश के बारे में काफी कुछ कहा जा सकता है और इसमें फीलिंगस आर मोर एंड वर्डस आर फ्यू वाली स्थिति पैदा हो जाती है। लेकिन बादल, बिजली,घटाएं और बारिश के अलावा कहने और सहने वाली बात ये है कि बेसब्री से जिस बारिश का हम इंतजार करते हैं जिसके बरसने से जेहन और जिंदगी में इतना कुछ घटित होने लगता है उसकी टीआरपी और ब्रांडिंग पर अव्यवस्थाओं का ऐसा असर होता है कि बारिश से लोग घबराने लगे हैं, कतराने लगे हैं। शायद भारत ही एक ऐसा देश है जहां बारिश सिर्फ आसमान से पानी गिरना भर नहीं है। उत्सव, गीत, कथाएं, हरियाली बहुत से पहलू यहां बारिश से जुड़ते हैं। कभी बारिश की भी अपनी शोखियां थी लेकिन अब बारिश सिर्फ अखबारों और चैनलों की सुर्खियां हैं। यहां बारिश आने से इतने लोगों की मौत और यहां बारिश से बाढ़ का खतरा।                                  

2 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

मिट्टी से वो सौंधी महक आती ही रहे हमेशा। चारो पहर।

MAGAR HIMANI JI HAMARE HARYANA KE DO TEEN ZILE BAAD KE CAPET ME AA GTYE HAI.....
USME MERA ZILA BHI SHAMIL HAI...

संजय भास्‍कर ने कहा…

SAHI SAMYA PAR SAHI PARASTUTI....

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