- आज तक कितने माँ बाप है जिन्होंने अपने बच्चे की झूठ बोलने पर पिटाई की?
- कितने माँ बाप है जिन्होंने बेटे के सड़क पर किसी का एक्सिडेंट कर आने पर उसे पुलिस के हवालें कर दिया??
- कितने माँ बाप हैं जिन्होंने बच्चे के दाखिले के लिए रिश्वत देने से मना कर दिया???
- ऐसे कौन से महान माँ बाप हैं जिन्होंने बेटे के किसी लड़की का बलात्कार करके आने पर उसकी हत्या कर दी???
- ऐसे कितने किस्से हैं जिनमे माँ बाप ने बेटे के बहु को जिन्दा जला देने पर उसके खिलाफ एक रिपोर्ट भी दर्ज की????
- सवालों की ये फेहरिस्त तो काफी लम्बी हो सकती है लेकिन जवाब में क्या मिलेगा इसका अंदाजा करते हुए इसे यहीं समेट रही हूँ...समाज में फैली तमाम बुराइयों को अपने व्यवहार में शामिल कर लेने के बाद भी माँ बाप बच्चे को अपने आंचल में छुपा लेते है.बल्कि ऐसे कामों में कई बार उनका साथ भी देते है और उन्हें बचने के लिए तमाम हथकंडे भी अपनाते है.. क्रांति आती है तो सिर्फ इस बात पर की उसने इस जात की उस गोत्र की ऐसे खानदान की ..लड़की से प्यार कर लिया, शादी कर ली....फिर अचरज ये की इसे ओनोर किलिंग का नाम दिया जाता है यानि इज्जत के नाम पर की गई हत्या ...क्या तब इज्जत बढती है जब बच्चा गैर क़ानूनी काम करता है ...गुंडागर्दी, चोरी चाकरी, बलात्कार, रिश्वत खोरी और न जाने क्या क्या ....अगर इज्जत के नाम पर हत्या करने का कांसेप्ट इजाद किया ही जा रहा है तो ऐसे बच्चों को मारे जाने का तो कोई केस सामने नही आता ...हो हल्ला होता है तो नादान इश्क पर जो यक़ीनन खुद उन्होंने भी कभी न कभी किया होगा. जो सब करते है, सबको होता है, ये भी सब जानते है. उत्तर प्रदेश और हरियाणा से निकलकर अब इस जिन्न के तथाकथित दिल वालों की दिल्ली में भी दस्तक देने की चर्चा जोरो पर है ....जो बात दिमाग में पैठी हो उस पर जगह की स्टैम्प लगाना बेमानी है. दिल्ली आधुनिक है, देश की राजधानी है, इसलिए वहां कुछ नही हो सकता या वहां ही कुछ हो सकता है ये यहाँ आकर बसे भांति भांति के लोगों की सोच पर निर्भर करता है. और जो परिणाम देखने को मिल रहे है वो तो यही बताते है की लोगों की सोच बहुत खोखली है. इश्क से आपति करके या इश्क करने पर जान लेने से प्यार बनाम परिवार की इस जंग का अंत होता नही दिखता. जब तक लोग ब्रह्मण, शुद्र और वैश्यं बनकर सोचते रहेगे शायद तब तक ही वो अपने जायों को प्यार करने के अपराध में यूँ ही मारते रहेंगे.मैं प्यार की पूर्व का यूँ खुले आम समर्थन कर प्यार में सारी हदों को पार कर जाने और हीर राँझा या लैला मजनू की कहानिओ को दोहराने का कोई भावुक सन्देश नही देना चाहती. बात सिर्फ इतनी सी है की अगर समाज के तथाकथित दायरे में प्यार करना या अपनी पसंद के शक्स से शादी करना अपराध है तो उसी समाज में रिश्वत चोरी चाकरी ..भी तो अपराध है अगर प्यार पर कोई इतना कठोर हो सकता है तो इन अपराधों पर कठोर बनकर तो कई बुराइयों को ख़त्म किया जा सकता है ...और यक़ीनन कोशिश की जाये तो ये बुराइयाँ फिर भी ख़त्म हो जाएँगी लेकिन जिस प्यार को ख़त्म करने के लिए माँ बाप अपने बच्चे को जान से मार रहे है वो फिर भी बचा रहेगा. हमेशा कभी साक्षात् कभी अदृश्य ....किसी कवि ने कहा है
सब कुछ बीत जाने के बाक भी बचा रहेगा प्रेम
कैली के बाद शिया में पड़ गई सलवटों सा
मृत्यु के बाद दृव्य स्मरण सा
अश्वारोहियों के रोंदे जाने के बाद
हरियाली ओडे दुबकी पड़ी धरती सा
गर्मियों में सुख गए झरने की चटानो के बीच
जड़ों में धंसी नमी सा
अंत में भी प्रेम
कानून क्या कर लेगा
- क्या नई दफा लगने से कई दफा समझाई गई बातों का जो असर नही हुआ वो होने लगेगा?? जिसे अपने बच्चे को मारते हुए दर्द नही हुआ वो इन दफाओ से डर जायेगा??
- जिसने एक कानून को तोड़ दिया है क्या वो दुसरे कानून को तोड़ने में घबराएगा??
- और आखिरी सबसे अहम् सवाल
- क्या कानून किसी की क्रूर सोच को बदल सकता है ?????
एक निवेदन, एक प्रार्थना, एक समाधान
मुझे नही पता कि मेरी सोच बहुत आधुनिक है या पारंपरिक पर जिस समय जो लगता है वही लिख और बोल देती हूँ इस समय के अनुसार मुझे लगता है कि ओनर किल्लिंग की समस्या का कुछ थोडा बहुत हल अगर हो सकता है तो वो बाबाओं के माध्यम से हो सकता है ....हमारे देश में आधुनिकता का आंचल बिना मानसून के भी लहराता रहता है लेकिन कहीं भीतर आज भी उस आंचल की बुनावट में अंधविश्वास, और रुदिवादिता के धागे गुथे हुए है ....कानून, रीति-रिवाज, सही-गलत, न्याय-अन्याय से ज्यादा असर इस समाज में ढोंगी बाबाओ की बात का होता है ..फलने गुरूजी ने कहा है की ऐसा करने से वैसा ही जायेगा तो चलो ऐसा कर लेते है ...तो तमाम योग गुरुओं, धर्म गुरुओं से मेरा निवेदन है कि वो अपने असंख्य नादान भक्तो को प्रेम से रहने और प्रेम से जीने देने का पाठ पढाये हो सकता है कि ये ओनर किलिंग सरीखे अपराध रुक जाये ..........ये समाधान मेरी निजी सोच है इसमें कोई पूर्वाग्रह नही है किसी व्यक्ति विशेष के प्रति मेरी कोई टिप्पड़ी नही है .....हाँ अपनी राय जरुर दे
5 टिप्पणियां:
हिमानी जी चिखने चिल्लाने से ये समाज और यहाँ के लोग जागने वाले नही है । बङा ही निर्दयी है आज का समाज ॥
आदरणीय ब्लागर साथियोँ आपको इटिप्स ब्लाग टिम का सादर प्रणाम ,आपके तकनिकी ब्लाग इटिप्स ब्लाग पर द्विसाप्तहीक काँलम "एक मुलकात-ब्लागर के साथ" को सुरु किया गया है इसमे ब्लाग जगत से जुङे लोगोँ के इंटरव्यू पब्लिश किऐ जाऐगेँ । हम चाहते हैँ कि आप हमे कोई समय बताऐँ ताकी हम आपका इंटरव्यू इमेल द्वारा ले सकेँ । जिस समय आप आँनलाईन होँ तो हमे मेल कर देँ ।
आपका अपना इटिप्स ब्लाग
आज पहली बार आई हूं इस तरफ। मोहला से लिंक मिला। ब्लॉग पूरा अच्छा लगा। पर एक सुझाव है- काले बैकग्राउंड में अक्षर पढ़ने में बहुत दिक्कत हो रही है। बड़ा अक्षर करने पर भी उसकी चमक नहीं जाती। अगर आपको ऐतराज न हो तो सिर्फ पढ़ने की सुविधा के लिए--- बैकग्राउंड से काला रंग निकाल कर कोई हल्का रंग दें तो अच्छा होगा।
ये ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर यदि समाज ढूंढ ले तो फ़िर बात ही क्या है , मगर सामूहिकता से ऐसे प्रश्नों का उत्तर न तो तलाशा जा सकता है न ही इन्हें हल भी किया जा सकता है ,इसीलिए किसी न किसी को अगुआ तो बनना ही पडेगा , और ये उससे भी बडा प्रश्न है
Aapne kuchh naye aur satik sawaal uthaye haiN. Aapme ummide dikh rahi haiN.
हिमानी जी समाज के श्याम श्वेत पहलुओं पर बड़ी ही संवेदनशीलता से सोचती हैं. वे संतुलित हैं और सलीकापसंद भी...समाज के कथित रहनुमा हो सकता हैं उनकी बातों से इत्तेफाक न रखते हों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि उनके जैसा सोचने वाले बहुत से लोग उनके साथ हैं...
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