सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कमजोरी
उस दिन हैंड ड्रायर से हाथ सुखाते हुए मैंने सोचा काश आंसुओं को सुखाने के लिए भी ऐसा कोई ड्रायर होता . . फिर मुझे याद आया आंसुओं का स...
-
नींद खो गई है भूख सो गई है सिर्फ प्यास लग रही है उफ़ ! ये इश्क कांटे ही थे वो चमकीले कागज में लिपटे हुए हम माना किये गुलाब गिर गए...
-
दोस्ती के दायरों के बीचोंबीच प्यार के कुनमुनाते एहसास को जब कोई नाम न मिले एक जरुरी जुस्तजू के बीच जब उस नाजायज जिक्र को जुबान न मिले...
-
प्रेम का अनुवाद देह होता है किसी ने कहा था मैंने कहा जिस प्रेम का अनुवाद देह है वो प्रेम से कुछ अलग है प्रेम से कुछ कम है उसने कहा ये तुम्हा...
5 टिप्पणियां:
जवाब नहीं ....बहुत गहरी बात कह दिया आपने इस रचना में
"सार्थक रचना.."
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
बहुत सुन्दर
dekhiye, hum bhi aa gaye......cafe se comment kiya isiliye angrezi mei kiya.......ab aaane ki koshish bani rahegi.....
एक टिप्पणी भेजें