बड़े बड़े सपने ...सफलताओ की आकांशा ...बहुत कुछ हासिल करने की हसरत ...शोहरत और बुलंदियों तक पहुचने की उम्मीदे ... ये कुछ ऐसे शब्द है जो कब जिंदगी में दाखिल हो गए पता ही नही चला ...और आज जब एक हल्का सा एहसास हुआ तो समझ आया कि इन शब्दों के चलते अक्सर हम जैसे लोगो को जिंदगी वैसे जीने ही नही देती जैसे शायद असल में हमें जीना चाहिए .... एक जिंदगी अनेक इच्छाएँ और हर इच्छा को पूरी करने कि हसरत के लिए कि जाने वाली कसरत ...बस येही कुछ रह जाता है ......सुबह होती है शाम आती है और रात के आगोश में फिर एक नए सपने कि चादर ओड हम आँखें बंद करके भी जागते ही रह जाते है ..लेकिन इन सारी बड़ी बड़ी बातों के बीच कितना कुछ छोटा मोटा होता है जिसके लिए हम सपने नही देखते ...दुआएं नही मांगते लेकिन फिर भी जब मिलता है तो अच्छा लगता है .......जैसे बस का वक़्त पर मिल जाना ...कंडेक्टर का हमसे टिकेट लेना भूल जाना ..यूँ ही कही रस्ते में अचानक किसी पुराने दोस्त का मिल जाना ...जिसे मन ही मन हम पसंद करते हों किसी दिन उसका हमसे बात करना ..चाय कि पत्ती के साथ बिस्किट मुफ्त मिल जाना ....मम्मी का हमारी पसंद कि सब्जी बनाना ....आज जब लिखने बैठी तो पता चला कि फेहरिस्त कितनी लम्बी है ..शायद सब कुछ लिख ही नही पाऊँगी .....आपकी जिंदगी में भी होंगे ऐसे कई पल जो बिना मांगी खुशिओं से सजे होंगे .......लेकिन कहाँ याद रहती है ये बाते .....उम्मीदे ..इच्छाए कुछ इस कदर हावी हो जाती है कि जिंदगी जीने से ज्यादा बड़ा .......इन इच्छाओं कि जरुरत को पूरा करना हो जाता है ...और अंतत होता ये है कि
जिंदगी जरुरत नही बन पाती ......जरुरत जिंदगी बन जाती है
सोमवार, 18 जनवरी 2010
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2 टिप्पणियां:
सही बात कही आपने..जिंदगी कुछ ऐसी ही है..
ज़िंदगी की जंग जीतने के लिए जोश, जज्बा और जुनून ज़रुरी है.जिंदगी जीने के हसीन सपनें, जब हकीकत की धरातल में साकार नहीं हो पाते तो दुख भरी दर्द की दास्तां बन जाती है ज़िंदगी. अपने दिल की दास्तां को सुनिए और समझिए, फिर ज़िंदगी जीने के अंदाज़ को बदलिए.जो मिल जाय उसे मुकद्दर समझिए, जो खो जाए उसे भूल जाइए, ज़िंदगी में सभी को मिलते है ग़म तुम न घबराना
हर रात की सुबह होती है हमदम, तुम न घबराना
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