वक़्त के ढांचे में ढलकर
अपने वजूद को बनाना
वो अनजान से रस्ते चुनना
और जान भूजकर उन पर चलते जाना
अंधेरों से रौशनी कभी
और कभी
रौशनी से नींद के लिए
थोडा सा अँधेरा उधार मांग लाना
पहले जद्दोजहद से जिंदगी
और फिर
जिंदगी में जुस्तजू को पाना
खलिश से जगी ख्वाहिशें
और ख्वाहेशों को पाने में
खताओं को अपनाना
आसान तो नही होता न
सपनो को सच करने के लिए
हर बार लगातार
अपनी सोच को बदलते जाना
3 टिप्पणियां:
अद्भुत है! बस वर्तनी की एकाध अशुद्धि बहुत चुभती है.
अच्छी सोच
सपनो को सच करने के लिए
हर बार लगातार
अपनी सोच को बदलते जाना
गहरे भाव लिए ........ सच है खुद को बदलना और अपनी सोच, अपने सपनो को बदलना आसान तो नही पर ........ बहुत लाजवाब रचना ....... एहसास जो सीधे उतार गये अंदर तक .........
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