फूलों को जब भी खिलते देखती हूँ तो ऐसा लगता है की उम्मीद ,विश्वास और आस्था अभी बाकि है ........अभी अंत नही हुआ है आशाओं का ......................
हर शाम मुरझाने वाले फूल भी जब हर सुबह नै ताजगी के साथ प्रकर्ति का श्रृंगार करते है तो ये एहसास होता है की जिंदगी का हर दिन बहुत ख़ास है ....जिंदगी हट आने वाले दिन को बेहतर बनने का ही प्रयास है ..........
...............डाली से अलग होकर भी जब ये फूल अपनी सुगंध फैलाते है , हट मन को महकते है ........तब बिना कुछ कहे खुशियाँ बाँटने का संदेश दे जाते है .....
लेकिन रंग , रूप , और खुशबू से सजी सुन्दरता की अनुपम कृति ये फूल क्या पाते है ????????????????
अस्तित्व कितना खूबसूरत है इनका मगर अस्ति की नियति तो पहले ही फ़ैसला ले चुकी होती है................................ वो कहती है ..............................
निर्माण भी नियति है
निर्वाण भी नियति है
ये नियति तो अपने को पुरा करेगी ही
फिर वो फूल है तो क्या हुआ !!!!!!!!!!
फूल से पंखुडी !!!!!!!!!!!!!!! तो झडेगी ही
हर शाम मुरझाने वाले फूल भी जब हर सुबह नै ताजगी के साथ प्रकर्ति का श्रृंगार करते है तो ये एहसास होता है की जिंदगी का हर दिन बहुत ख़ास है ....जिंदगी हट आने वाले दिन को बेहतर बनने का ही प्रयास है ..........
...............डाली से अलग होकर भी जब ये फूल अपनी सुगंध फैलाते है , हट मन को महकते है ........तब बिना कुछ कहे खुशियाँ बाँटने का संदेश दे जाते है .....
लेकिन रंग , रूप , और खुशबू से सजी सुन्दरता की अनुपम कृति ये फूल क्या पाते है ????????????????
अस्तित्व कितना खूबसूरत है इनका मगर अस्ति की नियति तो पहले ही फ़ैसला ले चुकी होती है................................ वो कहती है ..............................
निर्माण भी नियति है
निर्वाण भी नियति है
ये नियति तो अपने को पुरा करेगी ही
फिर वो फूल है तो क्या हुआ !!!!!!!!!!
फूल से पंखुडी !!!!!!!!!!!!!!! तो झडेगी ही
4 टिप्पणियां:
परिवर्तन है मूल में तब चलता संसार।
सृजन मूल संहार का नियमित करें विचार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
bahut sunder lekh.har khubsurat nirman vastu ka nirwan hona hi hai.sach baat.
जी हा, जिंदगी का हर दिन बहुत ख़ास है .... इस खासियत को खास बनाये रखिये
सुन्दर अभिव्यक्ति!!
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