शनिवार, 9 मई 2009

खतरे में लोकतंत्र

चुनाव के चार चरण पुरे हो चुके है पहले चरण से लेकर अब तक यही हल्ला मचा हुआ है वोट दो!!!!!!! वोट दो
इस आम चुनाव में आम आदमी को लुभाने का हर सम्भव हथकंडा अपनाने के बाद अब नेता नतीजो की राह तक रहे है
लेकिन इन चार चरणों में हर लोकसभा सीट से जो सुचनाये सामने आई वो ये बताती है की मतदान प्रतिशत गिरता जा रहा है चुनाव आयोग की तमाम कोशिशों के बादलोगो ने पप्पू बनना स्वीकार किया है ..........................
किसी और की बात करूँ इससे पहले अपना निजी अनुभव बताना चाहूंगी .......................................
हमारे एरिया में जब नगर पालिका चुनाव हुए थे तब जिस उमीदवार को हमने यानि गली नम्बर ७ के लोगो ने वोट किया वो हार गया ............अब चाहे वोट देने से पढ़ले हम ये न बताये की किसे वोट देंगे लेकिन बाद में ये सब छुपाना आसन नही होता तो जीतने वाले उमीदवार को भी ये पता चल गया की हमारी गली उसके विरोध में थी या फ़िर विपक्षी को हमसे ज्यादा ही समर्थन प्राप्त था जिसका परिणाम ये हुआ की आज पुरे एरिया में सड़क बन चुकी है हमारी गली को छोड़कर कई बार ये समस्या पार्षद जी तक पहुचाई गई मगर वो तो जैसे प्रतिशोध की अग्नि में जल रहे है ..................... तो भइया जितनी आग उधर है उतनी इधर भी है अब हो रहे लोकसभा चुनावो में सताए हुए इन लोगो ने वोट न डालने की ठानी है
वैसे मेरे इस अनुभव का आप चाहे जैसा विश्लेषण करे की वोट डालना हम सबका फर्ज है वगैरह .........................
मगर जब हर बार मतदाता को मुंगेरी लाल के सपने दिखाकर भ्रष्टाचार ,आतान्क्वाद ,साम्प्रदायिकता ,और मंदी महंगाई के सच को उसकी हाथों की लकीरों में गुदवा दिया जाता है तब मतदान से मोह भंग होना स्वाभाविक बात हो जाती है ............. फ़िर भी जब उससे ये कहा जाता है की वोट दो तब उसका पहला सवाल यही होता है की किसे वोट दे जिसे वोट देंगे वो जीता तो भी वो अपनी जेब भरेगा और अगर जिसे नही दिया वो जीता तो बदला लेगा जितने के बाद उमीदवार तो नेता बन जाएगा हमें क्या मिलेगा भइया साल भर अपनी समस्यों मकी सुनवाई के लिए इध से उधर भटकते है कोई नही मिलता पूछने वाला अचानक चुनाव आते ही एक नही दस दस लोग रोज बतियाने आ जाते है ....................और फ़िर मतदान कम होना एक तो लोगो की नर्ष की वजह से है दूसरा जो लोग वोट देने गए भी उन्हें भी कई परेशानियों का सामना करना पडा कहीं लिस्ट में नाम नही कही पर्ची नही मिली हमारी आपकी तो चोदिये ख़ुद चुनाव आयुक्त को खासी परेशानी हुई..........................तो कई खामियां है जिनकी वजह से मोजुदा लोकतंत्र को खतरे के निशाँ पर लाकर खडा कर दिया है....................इस खतरे का समाधान जल्द ही किया जाना चाहिए कहीं ऐसा न हो की ...................................!!!!!!!!!!!!!!!!!
मिट गया जब मिटने वाला तब सलाम आया तो क्या
दिल की बर्बादी की बाद उनका पयाम आया तो क्या
काश अपनी ज़िन्दगी में हम ये मंजर देखते
और ......वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ऐ आसमान अभी से हम क्या बताये के हमारे दिल में है

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