शनिवार, 28 मार्च 2009

बारिश की बातें







कहीं लौट आई है फिर वो बारिश




जो वादा कर के गई थी वापस आने का




वहीं से आती मिटटी की ये सौंधी खुशबू




कह रही है किसी के मिलन की कहानी




लेकिन कहीं आज भी




इन्तजार है बारिश की बस एक बूँद का




वहीं से आती ये गीली सीली सी हवा




बता रही है किसी के विरह की दास्ताँ




और यहाँ मैं सोच रही हूँ की ............इतना भेद क्यों ?????????




व्ही धरती व्ही आसमान




पर कही खिले फूल और कहीं बंजर सा जहाँ




न जाने धरती की बेवफाई है ये !!!!!!!!




या है आसमान का अभिमान !!!!!!!!!!!!




जाना तो बस इतना की




बारिश की वो नन्ही बूंदे बिच सफर में ही




कहीं रुक गई है




कहीं mud गई है




किसी के प्यार की वजह से




किसी से प्यार के कारन

3 टिप्‍पणियां:

अनिल कान्त ने कहा…

दिल को उडेल दिया है आपने ...बहुत ही खूबसूरत रचना

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

संगीता पुरी ने कहा…

बेहतरीन रचना है ... बधाई।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति है......
दिल के जज्बात को शब्दों में अच्छी तरह से उतरा है

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