कहीं लौट आई है फिर वो बारिश
जो वादा कर के गई थी वापस आने का
वहीं से आती मिटटी की ये सौंधी खुशबू
कह रही है किसी के मिलन की कहानी
लेकिन कहीं आज भी
इन्तजार है बारिश की बस एक बूँद का
वहीं से आती ये गीली सीली सी हवा
बता रही है किसी के विरह की दास्ताँ
और यहाँ मैं सोच रही हूँ की ............इतना भेद क्यों ?????????
व्ही धरती व्ही आसमान
पर कही खिले फूल और कहीं बंजर सा जहाँ
न जाने धरती की बेवफाई है ये !!!!!!!!
या है आसमान का अभिमान !!!!!!!!!!!!
जाना तो बस इतना की
बारिश की वो नन्ही बूंदे बिच सफर में ही
कहीं रुक गई है
कहीं mud गई है
किसी के प्यार की वजह से
किसी से प्यार के कारन
3 टिप्पणियां:
दिल को उडेल दिया है आपने ...बहुत ही खूबसूरत रचना
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
बेहतरीन रचना है ... बधाई।
सुन्दर अभिव्यक्ति है......
दिल के जज्बात को शब्दों में अच्छी तरह से उतरा है
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