आजकल विज्ञापन की दुनिया काफी विस्तृत होती जा रही है .....काफी कुछ कह रहे है आजके विज्ञापन जो लंबे लंबे भाषण नही कह पा रहे है ...........अभिषेक बच्क्चन का वाट एन आईडिया सर जी हो या डेमोक्रेसी का प्रचार या फ़िर ................ पि सी आर ऐ का सेव फिउल वाला विज्ञापन ..................जिसकी स्क्रिप्ट कुछ इस तरह है ......
बेटा -----( सिग्नल पर भी इंजन स्टार्ट रहते देखकर ) पापा मई बडा होकर साइकिल पंचर की दुकान खोलूँगा
पापा ------(आश्चर्य से !!!!!) क्या ????? क्यो????
बेटा -------जिस तरह आप पेट्रोल वेस्ट कर रहे है उस तरह भविष्य में तो पेट्रोल बचेगा ही नही तब तो सब साइकिल ही चलाएंगे न !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
छोटा सी बातचीत और एक बडा गंभीर संदेश .............जिसे समझना आज बहुत जरुरी है क्योकि आज नही समझा तो सच में ही साइकिल, बैलगाडी, और खच्चरों का जमाना वापस आते देर नही लगेगी
कुछ ही दिन पहले की बात है पेट्रोल डीजल के दाम बदने की वजह से काफी बड़ी हड़ताल हुई थी जिससे सरकार और जनता दोनों को काफी समस्या का सामना करना पडा था ..............हड़ताल तो ख़तम हो गई लेकिन एक विवाद एक प्रशन मेरे दिमाग में उठाना शुरू हुआ की हम इस कदर तेल के गुलाम क्यो है ?????????
भारत में पेट्रोल पर निर्भरता पश्चिमी देशो की देखा-देखि ठाट बाट की ज़िन्दगी को प्रोत्साहित करने का परिणाम है ये जानते हुए भी की हमारा अपना पेट्रोलियम भंडार अत्यन्त सिमित है उर्जा के लिए पेट्रोल पर निर्भरता लगातार बढ़ाई जा रही है
हाल ही में लॉन्च हुई नैनो मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए एक लुक्षुरिऔस लाइफ का सपना सच करवाने का जरिया है सुनकर मुझे भी खुशी हुई की एक गाड़ी मैं भी खरीद सकती हु लेकिन ये जानकर उतना ही चिंता भी हुई की अगर इस तरह एक एक आदमी अपने लिए अलग अलग गाडिया खरीदने लगा तो पेट्रोल का बडा संकट पैदा हो जाएगा ये सिर्फ़ एक ख्यक नहीं है बुनियादी हकीकत है ............
जब हम इस हकीकत को नजर अंदाज कर जनभुजकर पेट्रो पर अपनी निर्भरता बढ़ाते है तो ये उसी तरह लगता है जैसे पुरखो की संचित सम्पति को कोई बिगड़ी औलाद बर्बाद कर देती है और बाद में पछताती है
2 टिप्पणियां:
आभार इस आलेख का. एक जागरुकता जरुरी है.
जागरूक लेख है........सही में पेट्रोल का कुछ पता नही कब ख़त्म हो जाए
अच्छा लिखा
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