फ़िर वही फूट डालो और शासन करो की नीति
ये क्या था आजाद होना अंग्रेजो से
की उन्हें उनके देश भेजकर
हम अपने ही देश में उनके जैसे हो गए
उनके होते हिंदुस्तान बना था ,भारत और पकिस्तान
और उनके ही जैसे बनकर अपने होते हम........
बना रहे और बनने दे रहे है
भारत को जन्गिस्तान !!!!!!!!!!!!!!..............................
जहा जुंग छिडी है
कुछ भी कर के , कैसे भी करके
हर जर्रे अपना कब्जा ज़माने की
माँ -बाप को बुढा होते देखकर जैसे
नालायक औलाद साजिश करती है
जायदाद के कागजो पर दस्तखत करवाने की
वैसे ही साठ की उमर पार कर चुके इस देश
के रहनुमा जुगत में है इस देश को दफनाने की
सियासत की सरजमीं बनाकर इसे अब वो नया इतिहास बनायेंगे
बिल्लियों को लड़वाकर >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>उनके झगडे का फायदा उठाकर>>>>>>>>.
उनके हिस्से की भी रोटी खायेंगे >>>>>>>>>>>>>
जानती हूँ की बहुत कड़वी बातें लिख दी है मैंने............... वो कविता जो दिल की बातें बड़े ही सुंदर लहजे में लिखती है उसे बहुत कठोर बना दिया लेकिन अब शायद वक़्त ही नही है कविता करने का लेकिन ये शौंक मुझे बहुत अज़ीज़ है इसलिए लिखे बिना रहा नही गया इस वक़्त में करना तो बहुत कुछ है लेकिन फिलहाल कलम और कीबोर्ड के अलावा कोई और हथियार नही है इसलिए इसी से काम चला रहे है
सामाजिक अध्यन की किताबों में कई दफा पढ़ा है भारत सबसे बडा लोकतान्त्रिक देश है और जाहिर है जब तक हकीकत से वाकिफ नही थी तब तक पढ़कर बहुत गर्व होता था लेकिन अब लगता हिया ये लोकतान्त्रिक व्यवस्था ही गड़बड़ कर रही है क्योंकि इस व्यवस्था में कानून तो है लेकिन साठ ही बहुत कुछ आपकी और हमारी नैतिकता पर भी निर्भर करता है मसलन हाल ही की बात लीजिये हमारे मौलिक अधिकारों में लिखा है की हमें अभिव्यक्ति की आज़ादी है ये हमारा कानूनी हक है लेकिन इसका मतलब ये तो नही की इस हक के नाम पर आप कुछ भी कह दे यहाँ से शुरू होती है नैतिकता की कहानी अब भाजपा के एक युवा नेता ने जो कहा उसके बारे में हर तरफ़ टिका टिप्पदी हो रही है लेकिन ये तो अभिव्यक्ति की आज़ादी है !!!!!!!!चलिए दूसरा उद्धरण लेते है चुनाव अच्छे तरीके से हो निष्पक्ष हो और भी कई तरह के जुमले लगवा कर चुनाव आयोग का निर्माण हुआ तो मतलब ये एक संवेधानिक संस्था हुई लेकिन इसकी सलाह पर या इसके हिदायत देने पर अपराधियों को टिकट न देना ,आचार संहिता का पालन करना अपशब्द न कहना ये सब व्यक्तिगत या पार्टीगत नैतिकता पर निर्भर करता है चलिए राजनीति से जुड़े मसले से यदि ऊब रहे है तो एक हटकर उद्धरण दिये देती हूँ २००८ के सितम्बर महीने मई दिल्ली पुलिस ने एक विवाहित जोड़े को रेलवे स्टेशन पर्व चुम्बन करते हुए पाया तो उन्हें पकड़ लिया लेकिन इस पर्व कानून का फ़ैसला यही था के शादीशुदा लोगो का किस करना गैर कानूनों नही है लेकिन अनैतिक जरुर है लिहाजा इन्हे सजा नही दी जा सकती तो लीजिये यहाँ भी आ गई नैतिकता .........................
अब ये नैतिकता क्या है इसे समझते तो सब है लेकिन जब अनैतिक करने पर्व कोई डंडा नही पड़ने वाला है तो काहे किन फिक्र ऐसा भी नही है किन इस अनैतिकता का विरोध नही होता ............होता तो है लेकिन सामने आकर चोर को चोर कौन बोले ????????????????? इसी मैं बाद में ..........मैं बाद में .......के chakkar में panch saalo का political atyachaar saihna पड़ता है
काफ़ी कुछ कह दिया लेकिन क्या करूँ इतने मुद्दे है किन अलग लिखने किन बजाये मैंने एक ही में काफी कुछ कहने किन उत्पतंग सी कोशिश कर दी
चलते चलते एक बात और याद आ गई हमारे एक गुरु जी है उन्होंने मजाक में एक दिन ये बात कही थी लेकिन मई अज काफी सीरियस नोड पर्व इसका जिक्र कर रही हूँ उन्होंने कहा था जब किसी को कनवेंस नही कर सको तो उसे CONFUSEकर दो और हमारे लोकतंत्र में किसी को भी अपना दल बनने का अधिकार है तो आज अनगिनत
अज्नितिक पार्टिया हमें कनवेंस करने किन कोशिश में लगातार कान्फुजे कर रही है अब ये कितने बडा कांफुजन है ये तो अगले प्रधानमन्त्री का नाम ही बताएगा