रविवार, 18 जनवरी 2009

अनसुलझे सवाल

फेहरिस्त में है इस बार

कुछ ऐसे सवाल

जिनका कोई जवाब नही है

धुंध हटी है इस तरह कि

परदा हटा है आँखों से और .......................................अब कोई ख्वाब नही है

यकीनन , अरमानो के आशियाने सजाने का शोंक अब भी है हमें

लेकीन .....................................इन्त्कामन

इस शोंक को शिकस्त देकर

अपनी शक्सियत पर इतराते भी हम ही है

करते है बातें बहारों की

सुनते है किस्से जन्नत के

लेकिन ...................................मन्नत में इन्हे मांग ले कैसे ????????

खुशियों के इस क़र्ज़ से डरते भी हम ही है

पा न सके उसे तो हासिल करने की सोची

मिल न सका वो तो मर जाने की सोची

लेकिन न जाने खुदा की खलिश है

या है मेरी किस्मत का कमाल

उसे भूलने कि कोशिश में

हर पल याद करके !!!!!!!!!!!!!!!

जिए जातें भी हम ही है !!!!!!!!.....................................................

7 टिप्‍पणियां:

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

या है मेरी किस्मत का कमाल

उसे भूलने कि कोशिश में

हर पल याद करके !!!!!!!!!!!!!!!

जिए जातें भी हम ही है !!!!!!!!.....................................................
bahut khoob

निर्मला कपिला ने कहा…

उसे भूलने की कोशिश मे------बहुत बडिया भाव हैं

अनिल कान्त ने कहा…

हिमानी जी मजा आ गया ...आपकी कविता पढ़कर ...बहुत खूब ...बस इतना ही कहूँगा वाह हिमानी जी वाह

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया है.

Vinay ने कहा…

बहुत ख़ूब, लिखते रहें

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गुलाबी कोंपलें | चाँद, बादल और शाम | तकनीक दृष्टा/Tech Prevue | आनंद बक्षी | तख़लीक़-ए-नज़र

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत खूब कहा

दिगम्बर नासवा ने कहा…

उसे भूलने कि कोशिश में
हर पल याद करके !!!!!!!!!!!!!!!
जिए जातें भी हम ही है

sundar likhaa hai.......bahoot khoob

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