मंशायो का मोहजाल घेरे हुए है
मन को ,मस्तिष्क को
कुछ इस कदर कि
वास्तविकता से परे है
ज़िन्दगी कि सचाई
बलि भी हमारी ही चढ़ रही है
और हम ही बन रहे है कसआई
आज ये हासिल किया तो
कल उसे पाने की लडाई
अकंशाओ का अथाह सागर
और ज़िन्दगी की एक गागर
जिद्द है इस गागर में सागर को भरने की
ज़िन्दगी मानो ज़िन्दगी नही रही
बन गई है एक जद्दोजहद सी
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