बहते हुए पानी ने
हवा के चलने से
बादल कुछ इधर-उधर होते हें
लेकिन कोई असर नहीं पड़ता
उस लगातार काले पड़ते जा रहे आकाश पर
मुझे याद आता है बचपन में घर के सामने तारों से लटका
एक मरे हुए पक्षी का काला शरीर
मेरे साथ ही साथ बड़ा हो गया है मेरा डर
मरा हुआ वह काला पक्षी आकाश हो गया
पत्थरों पर निशान छोड़े हैं
अजीब बात है
पत्थरों ने पानी पर
कोई निशान नहीं छोड़ा।
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दीमकों को
पढ़ना नहीं आता
वे चाट जाती हैं
पूरी
क़िताब
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बादल कुछ इधर-उधर होते हें
लेकिन कोई असर नहीं पड़ता
उस लगातार काले पड़ते जा रहे आकाश पर
मुझे याद आता है बचपन में घर के सामने तारों से लटका
एक मरे हुए पक्षी का काला शरीर
मेरे साथ ही साथ बड़ा हो गया है मेरा डर
मरा हुआ वह काला पक्षी आकाश हो गया
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