तुम्हारी
अनुपस्थिति ऐसे है
जैसे
वो लकीर
जिस
तक पहुंचकर
धरती
और आसमान।
तुम्हारी
अनुपस्थिति ऐसे है
जैसे
वो अंधेरा
जिसमें
गुम हो जाता है
हर
चेहरा और
मैं
बना सकती हूं अपनी
कल्पना
के घेरे में उस
उस
वक्त तुम्हारा अक्स।
तुम्हारी
अनुपस्थिति ऐसे है
जैसे
पानी का रंग
जो
दिखता नहीं है
या
होता नहीं है
यह
अब तक तय होना बाकी है।
10 टिप्पणियां:
बहुत खूब ... पाने के रंग स उन्खा भास् ... जो दिखता नहीं या होता नहीं ...
ख्यालात की बेलगाम उड़ान ...
पानी का रंग तो होता नहीं या दिखता नहीं ... तुम्हारा अक्स भी तो ऐसा ही है ... अभी होता है पास अभी कहीं नहीं ... गहरे भाव ...
आपको नव संवत 2070 की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
आज 11/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की गयी हैं. आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुन्दर.....
कोमल अभिव्यक्ति......
अनु
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
LATEST POSTसपना और तुम
Great article.
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बहुत सुंदर भावभीनी अभिव्यक्ति....
नव-वर्ष मंगलमय हो....
बहुत सुंदर भावभीनी अभिव्यक्ति....
नव-वर्ष मंगलमय हो....
अहसास को शब्दों का रूप ....अति भावपूर्ण..
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