चुनावी मौसम में नेतायों के वादे कर भूल जाने की आदत या कहे की फितरत से तो हम आम जन भली भांति वाकिफ ही है पर हाल ही में हुए चुनावों में एक ऐसे व्यक्ति ने कुछ वादा किया था जिसे देश ही नही विदेश में भी योग गुरु के नाम से जाना जाता है और जिसकी अपनी एक ब्रांड वैलुए भी है ..................मगर राजनीती से दूर रहने की बात कहकर भी लगता है बाबा जी ने राजनीती की नीतियों को आत्मसात कर ही लिया ...............
गौरतलब है की बाबा रामदेव ने स्विस बैंक में जमा काले धन के मुद्दे पर ....................तमाम चैनलों और अख़बारों में ब्यान दिया था की मेरा राजनीती या किसी विशेष पार्टी से कोई सम्बन्ध नही है ...................भाविश्यें में जिस भी पार्टी की सरकार बनेगी उसे १०० दिन के भीतर इस काले धन को देश लाकर जनकल्याण में लगाना ही होगा .........................................पर अब तक क्या हुआ है इसे जानते भुझते हुए हम तो ये ही कह सकते है की ........................क्या हुआ तेरा वादा ..............वो कसम वो इरादा .........................और फ़िर वो सारा मीडिया जिसने रामदेव जी को लेकर १ -१ घंटे के इस्पेसिअल प्रोग्राम बनाये ..................वो भी अब रामदेव जी एक झलक दिखाकर ये पूछने का दायित्व नही निभा रहे की उनके संकल्प का क्या हुआ .............................. .............................संकल्प हिन्दी भाषा का एक बेहद संजीदा शब्द है मगर इस झूट-- मुठ की दुनिया में शब्दों की प्रमाणिकता पर भी संदेह सा होने लगता है .............................ऐसा ही कुछ ब्यान भावी पीडी के नेता.........तथा ,,,,,,,, और भी कई विशेष विशेषणों से सुसजित राहुल जी ने भी लिया था ..............मगर ??????????????????????????? लगता है ????????????????????????????????मगर जैसी ही चाल चल गए सब