शुक्रवार, 12 जून 2009

रास्ता

ऐसा कोई सूरज नही
न चाँद
न देवता
समुन्दर
जो तुम्हे मुक्ति दिलाएगा
पत्थर है चाहो तो
उन्हें बीन चुनकर ख़ुद
रास्ता बना लो

3 टिप्‍पणियां:

अनिल कान्त ने कहा…

nice post...impressive

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

ेअपने मनोभावो को सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
कृपया शब्द पुष्टिकरण हटाएं।

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

गागर में सागर के मुहावरे को साथॆक करती अभिव्यक्ति । बहुत कम शब्दों में आपने बडी गंभीर बात कह दी है । अच्छी कविता के लिए बधाई ।

मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-फेल होने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-

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