26 दिसंबर 2016 को अमर उजाला में प्रकाशित
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दिल्ली का बुराड़ी क्षेत्र 'नेकी की दीवार' के कारण चर्चा में है। यहां की हरित विहार कॉलोनी में अंग्रेज सिंह दहिया ने एक दीवार को नेकी के नाम कर दिया है। इसमें उनका साथ दे रहे हैं हरित विहार आर.डब्ल्यू.एसोसिएशन के प्रधान विजय परोदा। विजय बताते हैं, 'तीन-चार महीने पहले अंग्रेज सिंह ने हमसे 'नेकी की दीवार' बनाने के बारे में बात की। सुनने में यह आइडिया नया भी था और नेक भी। हमने उनका साथ दिया। एक दीवार चुनी और उस पर पेंट से लिखवा दिया- 'अधिक वाले दे जाएं, जरूरतमंद ले जाएं।' कुछ ही समय में यहां कपड़े, किताबें, जूते, बर्तन और बिस्तर तक जमा होने लगे। जितने लोग रखने आते, उतने ही जरूरतमंद यहां सामान लेने भी पहुंचते। अव्यवस्था न हो, इसके लिए हमने एक व्यक्ति की यहां ड्यूटी भी लगाई है। जिसे महीने की तनख्वाह भी दी जाती है। अब दूसरी कॉलोनियों से भी लोग यहां आने लगे हैं। अगर भविष्य में यह दीवार छोटी पड़ेगी, तो हम आर.डब्ल्यू.ए के दफ्तर में बड़ी 'नेकी की दीवार' बनाने के लिए भी तैयार हैं।' 'नेकी की दीवार' दिल्ली वालों के लिए नई हो सकती है, मगर राजस्थान में अब यह एक अभियान का रूप लेती जा रही है। शुरुआत हुई थी इसी साल अगस्त में। यहां भीलवाड़ा में रहने वाले वंदना नवल और प्रकाश नवल ने अपने घर के सामने बने पार्क की दीवार को ऊंची करने के लिए अर्बन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को एक अर्जी दी। उनसे वजह पूछी गई , तो उन्होंने 'नेकी की दीवार' बनाने की बात कही। ट्रस्ट को आइडिया पसंद आया और उन्होंने इसका स्रोत पूछा, तब सामने आया ईरान। वंदना और प्रकाश ने टीवी पर ईरान की 'दीवार-ए-मेहरबानी' के बारे में एक रिपोर्ट देखी थी। साल 2015 में ईरान में बेघर और गरीबों की मदद करने के लिए मशहद शहर में एक अजनबी ने इस तरह की एक दीवार बनाई थी। दीवार पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा गया था- जिनके पास जरूरत से ज्यादा है, वो इस दीवार पर टांग जाएं और जिन्हें जरूरत है, वो ले जाएं। इससे प्रेरित होकर वंदना और प्रकाश ने अपने घर के ठीक सामने नेकी की दीवार बनाने के बारे में सोचा। यूआईटी से मंजूरी मिलने के बाद कलाकार के.जी.कदम से इस दीवार को पेंट करवाया गया और नेकी का सिलसिला चल पड़ा। लोग अपनी जरूरत से ज्यादा का सामान यहां लाने लगे और जरूरतमंद ले जाने लगे। वंदना बताती हैं, ' मैं एक गृहिणी हूं। ये दीवार घर के सामने बनाने के पीछे वजह यही थी कि इसका पूरा ध्यान रखा जा सके। मेरी रसोई की खिड़की से दीवार साफ दिखती है। हम पति-पत्नी इसके रख-रखाव और व्यवस्था का पूरा ध्यान रखते हैं।' वंदना और प्रकाश की इस एक शुरुआत ने भीलवाड़ा ही नहीं पूरे राजस्थान में नेकी की बयार ला दी है। अकेले भीलवाड़ा में ही अब ऐसी चार दीवारें बनाई जा चुकी हैं। जयपुर भी इस सूची में शामिल हो चुका है। यूआईटी की तरफ से प्रदेश भर में इसके प्रसार को लेकर योजना बनाई जा रही है। वाराणसी, लखनऊ, झांसी, ललितपुर, चंडीगढ़, भोपाल, आगरा, गुरुग्राम और नोएडा तक भी नेकी की दीवार का यह आइडिया पहुंच चुका है। नये साल में उम्मीद की जानी चाहिए कि यह नेक आइडिया सिर्फ सोशल मीडिया पर ही नहीं, देश भर में वायरल होगा और इंसानियत की नई मिसाल सामने आएंगी।
1 टिप्पणी:
बड़े-बड़े बैनर लगाकर एनजीओ का खोखला दम्भ भरने वालों के लिए यह एक बहुत बड़ी सीख है। समाज सेवा को दिखावा की जरुरत नहीं, ऐसे नेक कामों को देखकर ही समाज सेवा के लिए प्रोत्साहित होते हैं ..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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