रात हुई
बिस्तर सजा
आंखें बंद की
पहले नींद आई
फिर सपने आए
फिर सुबह हुई।
बिस्तर सजा
आंखें बंद की
पहले नींद आई
फिर सपने आए
फिर सुबह हुई।
फिर
रात हुई
बिस्तर सजा
आंखें बंद की
पहले नींद आई
फिर सपने आए
फिर सुबह हुई।
बिस्तर सजा
आंखें बंद की
पहले नींद आई
फिर सपने आए
फिर सुबह हुई।
ऐसा ही होता रहा
कई बरसों तक
सपने आकर जाते रहे
कुछ सच हुए
कुछ बस सताते रहे
कई बरसों तक
सपने आकर जाते रहे
कुछ सच हुए
कुछ बस सताते रहे
मगर
एक दिन जब
रात हुई
बिस्तर सजा
आंखें बंद की
तो न नींद आई
न सपने आए
रात हुई
बिस्तर सजा
आंखें बंद की
तो न नींद आई
न सपने आए
क्योंकि उस रोज
सपना दिन में ही देख लिया था
मैंने देखा था अपनी आंखों से
राजस्थान के एक गांव में रहने वाली
लड़की की आंखों में तैरते सपने को
वो
एक दिन
दो बाल्टी पानी से नहाना चाहती थी।
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