को कभी गहराई से महसूस करके देखना
इससे सुखद अहसास नहीं मिलेगा
विकल्पों की इस भीड़ में।
तुम
तुम्हें समंदर की तरह होना चाहिए था
मगर तुम पहाड़ जैसे थे
मैं नदी नहीं बन सकी
दरिया ही रही
समंदर में जा मिलना ही
शायद नसीब था मेरा।
मगर तुम पहाड़ जैसे थे
मैं नदी नहीं बन सकी
दरिया ही रही
समंदर में जा मिलना ही
शायद नसीब था मेरा।
लिखना
जीती हूं तो लिखती हूं
लिखती हूं तो जी लेती हूं
डरती हूं मगर
लिखने को जुर्म न करार दे दे कहीं
उसकी अदालत।
लिखती हूं तो जी लेती हूं
डरती हूं मगर
लिखने को जुर्म न करार दे दे कहीं
उसकी अदालत।
राजनीति
अब से
मेरी भी अपनी एक राजनीति है
मैं राज को राज रखकर
नीतियों को नींद की गोली खिलाकर
खुद को जगाना चाहती हूं जीने के लिए।
मेरी भी अपनी एक राजनीति है
मैं राज को राज रखकर
नीतियों को नींद की गोली खिलाकर
खुद को जगाना चाहती हूं जीने के लिए।
अंधेरा
अंधेरे का होना
रोशना का न होना नहीं है
अंधेरे का होना
अंधेरे का ही होना भी नहीं है
अंधेरे का मतलब
आंखों को कुछ समझ ना आना है
बस।
रोशना का न होना नहीं है
अंधेरे का होना
अंधेरे का ही होना भी नहीं है
अंधेरे का मतलब
आंखों को कुछ समझ ना आना है
बस।
समर्पण
मेरा हर समर्पण बेकार था
क्योंकि
मैं अपना
शरीर सौंपने में
हिचकिचाई थी जरा।
क्योंकि
मैं अपना
शरीर सौंपने में
हिचकिचाई थी जरा।
3 टिप्पणियां:
उम्दा सोच
भावमय करते शब्दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।
बड़े दिनों की अधीर प्रतीक्षा के बाद आज आपका आगमन हुआ है
वाह ... हर एहसास को बाखूबी बयान करते शब्द ...
nadiyan na behti gar
to pyas meri bujhti kaise
ye ruke hue kuen kab tak
pyas meri bujhaenge
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