मांगकर पढ़ी थी अपनी पहली कहानी
''अपनी पहली कहानी लिखने की प्रेरणा मुझे फ्रैंज काफ्का के उपन्यास 'द मेटामॉरफसिस' को पढ़ते वक्त मिली। मैंने कहानी लिखी और उसे लेकर कोलंबिया के राष्ट्रीय समाचार-पत्र 'एल एस्पेक्टाडोर' गया। दरबान ने मुझे दफ्तर की दूसरी मंजिल पर जाकर अखबार के साहित्य संपादक एडुआरडो जालमिया से मिलने की इजाजत दे दी। मगर वहां पहुंचकर न जाने किस चीज ने मुझे रोक दिया और मैं अपनी कहानी वाला पत्र दरबान की मेज पर ही रखकर वहां से भाग आया। अब मुझे अपनी कहानी की किस्मत मालूम थी। मैं जान चुका था कि वह वक्त कभी नहीं आएगा, जब मेरी कहानी प्रकाशित होगी। इसके बाद दो सप्ताह तक मैं अपने इस दुखद अनुभव को भुलाने और अपने मन को शांत करने के लिए कैफे से कैफे भटकता रहा। लेकिन एक सुबह अचानक सब कुछ बदल गया, जब कैफे जाते हुए मेरी नजर अपनी उसी कहानी के शीर्षक पर पड़ी। 'एल एस्पेक्टाडोर' अखबार में मेरी कहानी ‘तीसरा त्यागपत्र’ के नाम से काफी बड़े स्पेस में प्रकाशित हुई थी। उसे देखते ही मेरी पहली प्रतिक्रिया सदमे से भरी थी, क्योंकि मेरे पास उस अखबार को खरीदने के लिए पांच सेंट भी नहीं थे। यह थी मेरी
गरीबी की तसवीर, सिर्फ वह अखबार खरीदने के लिए पांच सेंट ही नहीं, जीवन से जुड़ी और भी कई जरूरतों को पूरा करने के पैसे नहीं थे मेरे पास। मैं तेजी से बाहर गली की तरफ भागा, लेकिन आस-पास के कैफेज में ऐसा कोई भी नहीं था, जो मुझ पर दया करके मुझे कुछ सिक्के उधार देता। अब मेरे पास उस लैंड लेडी से पैसे लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, जिससे मैं पहले ही कई बार उधार ले चुका था। जब मैं दोबारा उनके पास पहुंचा, तो मेरा सामना बाहर ही एक आदमी से हुआ। वह अपनी कैब से उतर रहा था, मैंने देखा कि उसके हाथ में एल एस्पेक्टाडोर अखबार था। मैंने बिना किसी झिझक के सीधे जाकर उससे पूछ लिया कि क्या वह मुझे यह अखबार दे सकता है, ताकि मैं अपनी पहली प्रकाशित कहानी को पढ़ सकूं? और मेरा काम हो गया, मुझे वह अखबार मिल गया। मैंने इसे अपने कमरे में छिपकर पढ़ा। मेरा दिल हर एक सांस के साथ जोर-जोर से धड़क रहा था। हर एक लाइन में मैं प्रकाशित शब्दों की अद्भुत ताकत को महसूस कर सकता था। और इसके बाद उनके पास इसी अखबार की कतरन के साथ तारीफ और सराहना में भेजे गए पत्रों का तांता लग गया।''
~ [गैब्रियल गार्सिया मार्खेज की आत्मकथा living to tell the tale का एक अंश]
मैं नहीं चाहती थी कि उन्हें इस तरह पढ़ूं ...जब वह दुनिया में ना रहें। मगर ...
किताबें पढ़ने के पीछे मेरी कोई सोची-समझी रणनीति नहीं होती। जब जहां जो रुचिकर और दिलचस्प लगता है पढ़ती हूं। कई बेहतरीन किताबें जो मैंने अब तक पढ़ी हैं उनका श्रेय लिखने-पढ़ने वाले कुछ दोस्तों को जाता है। वन हंड्रेड ईयर्स ऑफ सॉलीट्यूड पढ़ने के लिए भी काफी दिन पहले एक दोस्त ने ही कहा था। पहले हिंदी में ये किताब ढूंढने की कोशिश की... कहीं नहीं मिली। न बुक स्टोर्स पर न ऑनलाइन साइट्स पर। फिर बुकफेयर से उम्मीद थी तो वहां भी तीसरे दिन ही पता चला कि ये किताब आउट ऑफ स्टॉक हो गई है। इस किताब को ढूंढने के दौरान ही लग रहा था कि कुछ तो बात होगी...और ये चाहत भी और पुख्ता होती जा रही थी कि अब अंग्रेजी में ही पढ़ ली जाएगी। आखिर अंग्रेजी में ही खरीदकर पढ़ना शुरू कर दिया। जो किताबें पढ़नी हैं उनकी लिस्ट इतनी लंबी है कि अब तक किसी भी किताब को दोबारा पढ़ने का मौका नहीं मिला। मगर इस किताब के शुरुआती 25 पन्ने पढ़ने के बाद मैंने आगे बढ़ने की बजाय उन्हें दोबारा से पढ़ा... एक अलग दुनिया, पृष्ठभूमि और परिवेश को समझने की कोशिश भी इसकी एक वजह था और वह अद्भुत शैली भी जिसके लिए गाबो शब्दों की दुनिया में हमेशा जिंदा रहेंगे। एक-एक पंक्ति के साथ बिंबों का जो प्रयोग था, उसे डायरी में नोट करके उन पर कविता लिखने का मन कर रहा था। पढ़ते-पढ़ते मैं सोच रही थी कि इस लेखक के बारे में और पढ़ूंगी। इन्होंने और क्या-क्या लिखा। कैसा रहा इनका बचपन, कैसे ये लेखक बने...वगैरह-वगैरह...।
इस बीच इस किताब को लिखने से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी पता चली...
गाबो ने 18 महीने तक लगातार अपने स्टूडियो में इस किताब को लिखा था। इस बीच उनकी सारी जमा पूंजी बिक चुकी थी। उनकी पत्नी इस बात पर काफी नाराज हुईं थीं उनसे। 18 महीने बाद जब वह अपने स्टूडियो से बाहर अपनी पत्नी के सामने गए तो उनकी पत्नी ने उन्हें अब तक हुई उधारी के बिल थमाए और गाबो ने उनके हाथ में थमाई साहित्य की दुनिया की एक बेहतरीन कृति - वह पुस्तक जो उन्होंने इस दौरान लिखी थी।
उस वक्त बेशक गाबो को ये अहसास था कि वह अपना मास्टरपीस लिख चुके हैं, मगर शायद उनकी पत्नी को अंदाजा भी नहीं था कि ये किताब उनकी ही नहीं दुनिया के कई लोगों की जिंदगी को बदल देगी।
अभी किताब पूरी पढ़ना बाकी है...मगर गाबो के जाने के बाद कुछ ही दिन में उनके बारे में कई चीजें पढ़ीं। उनकी आत्मकथा 'living to tell the tale' का यह अंश भी...इसलिए यहां अनुवाद किया ताकि इस लेखक से परिचय को वो लोग भी अपना सकें जो उन्हें नहीं जानते...
इस नोट का हैडिंग गाबो के ही एक कोट से प्रेरित है- The only regret I will have in dying is if it is not for love.
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