उस तेज बारिश वाली एक शाम हम दोनों
बिछड़ने का दिन तय करने के लिए
मिलने का दिन तय कर रहे थे
कल आखिरी बार मिलेंगे
मैंने मन में सोचा था
उसे भी बताया था
और फिर हम मिले
उस दिन
और उसके बाद
बार-बार मिलते रहे
यूं ही
बिछड़ने का दिन तय करने के लिए
उस दिन हैंड ड्रायर से हाथ सुखाते हुए मैंने सोचा काश आंसुओं को सुखाने के लिए भी ऐसा कोई ड्रायर होता . . फिर मुझे याद आया आंसुओं का स...
3 टिप्पणियां:
बेहतरीन
सादर
बहुत खूब ...
और वो दिन कभी न आए जब बिछुड़ने की बात हो ..
बेशक .. लाजवाब कविता हैं ..
जिस क्षण हम मिलते हैं उसी क्षण तय हो जाता हैं भविष्य का वो आगत क्षण
जब हम बिछड़ जाएँगे हमेशा के लिए ..!!
एक टिप्पणी भेजें