बुरा होना बहुत जरुरी है
क्योंकि अच्छा बनकर
आप वो नहीं रह जाते
जो आप हो या होना चाहते हो
लेकिन जब आप बुरे होते हो
तो कितने लोग ये समझ पाते हैं
कि अब वास्तव में आप अच्छे हो
कम से कम
सच्चे तो हो
....................................................................
मैं कहूँ कि बहुत बुरा महसूस हुआ मुझे
जब तुमने मेरे हाथों को
लोगों की उस महफ़िल में
अपने हाथों में लिया
जबकि
प्यार का
खामोश सा इजहार भी
हो चुका है हमारे बीच
मुझे नहीं लगता प्यार में छूना
एक नैतिक जिम्मेदारी या परम्परा है
मुझे नहीं लगता कि
छुए बिना आगे नहीं बढ़ सकता प्यार
मुझे लगता है
इतना प्यार है हमारे दरम्यान
कि दरो दीवार की ये दूरियां
उसे कभी नहीं मिटा पाएंगी
वो एहसास
जब तुमने छू लिया था
मेरे दिल को गहरे तक
वो कभी धुंधला नहीं पड़ सकता
मेरी आँखों में
कभी मैला नहीं हो सकता
उससे मेरा आंचल
पर मैं बुरी हूँ तुम्हारी नजरों में
क्योंकि मैंने अपनी भावनाओ का भी ख्याल रखा
तुम्हारे प्यार को सहेजने और समझने के साथ
कह बैठी मैं तुमसे अपने दिल की बात
भूल गई उस शिक्षा को
जो अक्सर माँ को कहते सुना था
मर्दों से हर बात नहीं बाटनी चाहिए
मैं बुरी हूँ
क्योंकि मैं तुम्हे कोसना नहीं चाहती थी बाद में
मैं बुरी हूँ क्योंकि
मैं कुछ पलों के लिए नहीं
ताउम्र के लिए चाहती थी तुम्हारा साथ
..................................
एक लड़की है
जो मुझे लगता है कि
तुमसे थोड़ा ज्यादा समझती है मुझे
मैं उसे पढ़वा सकता हूँ अपनी प्रेम कवितायेँ
जिन्हें पढ़ना तुम्हे नहीं है पसंद
या कि
तुम नहीं समझ पाओगी
कि तुम्हारे ख्यालों में खोकर ही
लिख बैठा था मैं
तुम ढूंदोगी उनमे
किसी और का अक्स
मैं कहूँ कि
एक लड़की है
जो मुझे अपने जैसी लगती है
जिससे घंटों बातें करते वक़्त
मैं भूल जाता हूँ
वक़्त के बारे में सोचना
तब क्या करोगी तुम
मेरी प्रेयसी
तुम खुद को कटघरे में खड़ा कर दोगी
या उठा दोगी मेरे चरित्र पर सवाल
..............................................
( ये दो अलग अलग बातें हैं .
एक में प्रेमिका अपने प्रेमी से संवाद कर रही है
और दूसरे में एक पति अपनी पत्नी से जिससे वो बेहद प्यार करता है.
अब सवाल ये है की प्रेम भरे इन रिश्तों के बीच ये सवाल दीवार बनकर क्योंकर उठ खड़े हुए है क्या इनका कोई जवाब है या फिर ... एक वक़्त पर हर अहसास हर जज्बात इसी तरह खोखला हो जाता है ??? )
क्योंकि अच्छा बनकर
आप वो नहीं रह जाते
जो आप हो या होना चाहते हो
लेकिन जब आप बुरे होते हो
तो कितने लोग ये समझ पाते हैं
कि अब वास्तव में आप अच्छे हो
कम से कम
सच्चे तो हो
....................................................................
मैं कहूँ कि बहुत बुरा महसूस हुआ मुझे
जब तुमने मेरे हाथों को
लोगों की उस महफ़िल में
अपने हाथों में लिया
जबकि
प्यार का
खामोश सा इजहार भी
हो चुका है हमारे बीच
मुझे नहीं लगता प्यार में छूना
एक नैतिक जिम्मेदारी या परम्परा है
मुझे नहीं लगता कि
छुए बिना आगे नहीं बढ़ सकता प्यार
मुझे लगता है
इतना प्यार है हमारे दरम्यान
कि दरो दीवार की ये दूरियां
उसे कभी नहीं मिटा पाएंगी
वो एहसास
जब तुमने छू लिया था
मेरे दिल को गहरे तक
वो कभी धुंधला नहीं पड़ सकता
मेरी आँखों में
कभी मैला नहीं हो सकता
उससे मेरा आंचल
पर मैं बुरी हूँ तुम्हारी नजरों में
क्योंकि मैंने अपनी भावनाओ का भी ख्याल रखा
तुम्हारे प्यार को सहेजने और समझने के साथ
कह बैठी मैं तुमसे अपने दिल की बात
भूल गई उस शिक्षा को
जो अक्सर माँ को कहते सुना था
मर्दों से हर बात नहीं बाटनी चाहिए
मैं बुरी हूँ
क्योंकि मैं तुम्हे कोसना नहीं चाहती थी बाद में
मैं बुरी हूँ क्योंकि
मैं कुछ पलों के लिए नहीं
ताउम्र के लिए चाहती थी तुम्हारा साथ
..................................
एक लड़की है
जो मुझे लगता है कि
तुमसे थोड़ा ज्यादा समझती है मुझे
मैं उसे पढ़वा सकता हूँ अपनी प्रेम कवितायेँ
जिन्हें पढ़ना तुम्हे नहीं है पसंद
या कि
तुम नहीं समझ पाओगी
कि तुम्हारे ख्यालों में खोकर ही
लिख बैठा था मैं
तुम ढूंदोगी उनमे
किसी और का अक्स
मैं कहूँ कि
एक लड़की है
जो मुझे अपने जैसी लगती है
जिससे घंटों बातें करते वक़्त
मैं भूल जाता हूँ
वक़्त के बारे में सोचना
तब क्या करोगी तुम
मेरी प्रेयसी
तुम खुद को कटघरे में खड़ा कर दोगी
या उठा दोगी मेरे चरित्र पर सवाल
..............................................
( ये दो अलग अलग बातें हैं .
एक में प्रेमिका अपने प्रेमी से संवाद कर रही है
और दूसरे में एक पति अपनी पत्नी से जिससे वो बेहद प्यार करता है.
अब सवाल ये है की प्रेम भरे इन रिश्तों के बीच ये सवाल दीवार बनकर क्योंकर उठ खड़े हुए है क्या इनका कोई जवाब है या फिर ... एक वक़्त पर हर अहसास हर जज्बात इसी तरह खोखला हो जाता है ??? )
2 टिप्पणियां:
कुछ सार्थक सवाल.... और अभिवयक्ति.....
अच्छी प्रस्तुति ...
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