गुरुवार, 10 नवंबर 2011

प्रेम पत्र


प्रेत  आएगा
किताब से निकाल ले जाएगा प्रेम पत्र
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खाएगा

चोर आएगा तो प्रेम पत्र चुराएगा
जुआरी प्रेम पत्र पर ही दांव लगाएगा
ऋषि आएंगे तो दान में मागेंगे प्रेम पत्र

बारिश आएगी तो
प्रेम पत्र ही गलाएगी
आग आएगी तो जलाएगी प्रेम पत्र
बन्दिशें प्रेम पत्र पर ही लगाई जाएंगी

साँप आएगा तो डँसेगा प्रेम पत्र
झींगुर आएंगे तो चाटेंगे प्रेम पत्र
कीड़े प्रेम पत्र ही काटेंगे

प्रलय के दिनों में
सप्तर्षि, मछली और मनु
सब वेद बचाएंगे
कोई नहीं बचाएगा प्रेम पत्र

कोई रोम बचाएगा
कोई मदीना
कोई चाँदी बचाएगा, कोई सोना
मैं निपट अकेला
कैसे बचाऊंगा तुम्हारा प्रेम पत्र ।              
                                                ................. बद्रीनारायण 

3 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

सुन्दर सटीक हैं...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...पढ़ कर आनंद आया.....



संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

संजय भास्‍कर ने कहा…

JABARDAST VYANGALIKHA HAI PREM PATR KE MADHAYAM SE

Mukta Dutt ने कहा…

Bahut sundar kavita himani :)

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