झीलों के किसी शहर में
तुम्हारे साथ रहना
समुंदर के किनारे
नंगे पाँव हाथों में हाथ डाले घंटों टहलना
पहाड़ों की हसीं वादियों में
जोर से तुम्हारा नाम पुकारना
और कभी शाम ढले
फूलों के एक बगीचें में तुम्हारे साथ
बैठकर
घर लौटते पक्षियों को देखना
तुम्हारे लिए तुम्हारे साथ
प्रक्रति के इस हर एक रूप को साक्षी मानकर
मैं चाहती हूँ
तुम्हे प्रेम करना
पर क्या तुम...
क्या तुम चाहोगे ?
मेरे साथ इन बहारों के बीच
अचानक आ गए
पतझड़ में
किसी पगडंडी पर चलना