शनिवार, 26 मार्च 2011

एक चुटकी चैन


कुछ दिन पहले किसी ने ये दुआ दी थी मुझे  'तुम्हारा  इंसानी रूप दुनिया की हर तीखी धूप में बचा रहे। यह रंग जो तुम्हारा अपना है हंसी का, खुशी का, बचपन का, रिश्ते का, बरकरार रहे हर उस हमले से जो मासूमियत पर होता ही है हर तरफ से।
काश कि यह सब जिस जमीन पर खडा होकर मैं कह रहा हूं उसको पूरा पूरा पढ पातीं तुम। हालांकि उससे भी फर्क यही पढता कि तुम रो देतीं।''
 हाँ मैं रो देती ...
अधूरे अहसास और अनकहे लफ्जो के इस मकडजाल के बीच सच  में मुश्किल तो है उस जमीन को पूरा पूरा पूरा पढ़ पाना जहाँ जज्बात सिर्फ जरुरत भर रह गए है..जहाँ प्रेम करने के लिए प्रेम नही किया जा रहा.. जहाँ हम सब एक दुसरे के लिए सिर्फ माध्यम बन गए है.
लेकिन क्या फर्क पड़ता है अगर मैं उस जमीन को न भी पढूं तो ...
कदम बढ़ाते ही तो पैरों के नीचे वही जमीन होती है
और बिना पढने की मोहलत लिए मुझे उस जमीन को समझ कर संभल कर कदम रखने के बारे में सोचना पड़ता है.
हाँ मुझ पर हमला होता है
जब मेरे मासूम सवालों को
मायूस कर देने वाले जवाब मिलते है
जब मेरे दिल में बैठकर कोई मेरे दिमाग को
परख रहा होता है
जब उम्र भर के लिए साथ हो जाने वाला कोई लम्हा
बरसो पुराना बीता पल बन जाता है
और जब
मेरी आँखों को पढ़ सकने वाला
कोई शख्स
ढेरों शब्दों को भी नही समझ पाता है 
ये निरी कोरी भावनाए है
हर किसी का  दिल बहता होगा इनमे
मेरा जरा सा डूब गया है
और इस डूबते से मन को तिनके की तरह इन शब्दों का सहारा मिल रहा है
और ये शब्द कम्भक्त नशा बन गए है शराब की तरह
जिस दिन न पीयू नींद नही आती
 जिस दिन न लिखूं चैन नही मिलता
और फिर इतनी सख्त जमीन पर चलने के बाद
एक चुटकी चैन तो चाहिए न ....




5 टिप्‍पणियां:

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|

vandana gupta ने कहा…

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (28-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय हिमानी जी
नमस्कार !
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
...आपकी लेखनी को नमन

ZEAL ने कहा…

Ek chutki chain....wow..Beautiful expression !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

खूबसूरत अभिव्यक्ति

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