पहले मैं एक सवाल पर खड़ी थी
अब फिजा भर में एक सवाल है
सारी कायनात जो
एक वक़्त
जुट गई थी मिलन
की साजिश में
आज उसने
बिछोह का जाल रचा है
और मैं पूछना चाहती हूँ
क्यों
क्यों
और क्यों
शायद हवाओं से लेकर
उस एक कोने तक
आज यही एक सवाल है
जहाँ हवा का एहसास भी नही पहुचता
शायद
बारिश की हर एक बूँद के साथ से लेकर
आज हर उस तालाब तक
यही सवाल है जो बरसों से सुखा पड़ा है
5 टिप्पणियां:
भावपूर्ण सवाल है
सशक्त प्रश्न .सुंदर रचना.
sayad me ya tum ki uljhan me uljhan kar uthe ho sawal fir bhi kafi saf line
बेहतरीन प्रस्तुति. सही कहा आपने .
... behatreen rachanaa !!!
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