शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

सवाल

पहले मैं एक सवाल पर खड़ी थी 
अब फिजा भर में एक सवाल है 
सारी कायनात जो 
एक वक़्त 
जुट गई थी मिलन
की साजिश में 
आज उसने 
बिछोह का जाल रचा है 
और मैं पूछना चाहती हूँ 
क्यों 
क्यों 
और क्यों 
शायद हवाओं से लेकर 
उस एक कोने तक 
आज यही एक सवाल है
जहाँ हवा का एहसास भी नही पहुचता 
शायद 
बारिश की हर एक बूँद के साथ से लेकर
आज हर उस तालाब तक
यही सवाल है जो बरसों से सुखा पड़ा है 



5 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

भावपूर्ण सवाल है

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

सशक्त प्रश्न .सुंदर रचना.

Prataham Shrivastava ने कहा…

sayad me ya tum ki uljhan me uljhan kar uthe ho sawal fir bhi kafi saf line

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति. सही कहा आपने .

कडुवासच ने कहा…

... behatreen rachanaa !!!

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