शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

खामोशी


जेहन में तो कभी
नही रही शब्दों की कमी
मगर अक्सर आँखों की नमी
ने कुछ कहने न दिया
अभी तलक तो लबों तक ही पहुँची थी
आंसुओं की बुँदे
न जाने कैसे , कब दिल को भिगो दिया
बहुत कुछ कह जाने की हसरत ने
क्यों एक पल में ही खामोशी को चुन लिया
इस मौन को समझने वाले
तो कभी कभार ही मिलते है जिंदगी में
और सोचने वालों ने
अपना अलग सा ही
कोई अफसाना बुन लिया

3 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

सुन्दर भाव
बेहतरीन

ओम आर्य ने कहा…

बहुत ही सुन्दर अन्दाज मे पेश करी है आपने अपने मन के भाव को ......सुन्दर

बेनामी ने कहा…

Beautiful feeling...wow...
when you want to say so many things, you really didn't get words. That time silance says everythings...that pause has a big word...

कमजोरी

उस दिन हैंड ड्रायर से हाथ सुखाते हुए मैंने सोचा काश आंसुओं को सुखाने के लिए भी ऐसा कोई ड्रायर होता . . फिर मुझे याद आया आंसुओं का स...