जेहन में तो कभी
नही रही शब्दों की कमी
मगर अक्सर आँखों की नमी
ने कुछ कहने न दिया
अभी तलक तो लबों तक ही पहुँची थी
आंसुओं की बुँदे
न जाने कैसे , कब दिल को भिगो दिया
बहुत कुछ कह जाने की हसरत ने
क्यों एक पल में ही खामोशी को चुन लिया
इस मौन को समझने वाले
तो कभी कभार ही मिलते है जिंदगी में
और सोचने वालों ने
अपना अलग सा ही
कोई अफसाना बुन लिया
नही रही शब्दों की कमी
मगर अक्सर आँखों की नमी
ने कुछ कहने न दिया
अभी तलक तो लबों तक ही पहुँची थी
आंसुओं की बुँदे
न जाने कैसे , कब दिल को भिगो दिया
बहुत कुछ कह जाने की हसरत ने
क्यों एक पल में ही खामोशी को चुन लिया
इस मौन को समझने वाले
तो कभी कभार ही मिलते है जिंदगी में
और सोचने वालों ने
अपना अलग सा ही
कोई अफसाना बुन लिया