शनिवार, 11 अक्टूबर 2014

अलहदा




इन कविताओं को एक साथ पोस्ट करना खुद को
 एक कलाकार जैसा महसूस करना है।
विकल्प

विकल्पहीनता
को कभी गहराई से महसूस करके देखना
इससे सुखद अहसास नहीं मिलेगा
विकल्पों की इस भीड़ में।


तुम

तुम्हें समंदर की तरह होना चाहिए था
मगर तुम पहाड़ जैसे थे
मैं नदी नहीं बन सकी
दरिया ही रही
समंदर में जा मिलना ही
शायद नसीब था मेरा।


लिखना

जीती हूं तो लिखती हूं
लिखती हूं तो जी लेती हूं
डरती हूं मगर
लिखने को जुर्म न करार दे दे कहीं
उसकी अदालत।


राजनीति

अब से
मेरी भी अपनी एक राजनीति है
मैं राज को राज रखकर
नीतियों को नींद की गोली खिलाकर
खुद को जगाना चाहती हूं जीने के लिए।


अंधेरा

अंधेरे का होना
रोशना का न होना नहीं है
अंधेरे का होना
अंधेरे का ही होना भी नहीं है
अंधेरे का मतलब
आंखों को कुछ समझ ना आना है
बस।



समर्पण

मेरा हर समर्पण बेकार था
क्योंकि
मैं अपना

शरीर सौंपने में
हिचकिचाई थी जरा।



कमजोरी

उस दिन हैंड ड्रायर से हाथ सुखाते हुए मैंने सोचा काश आंसुओं को सुखाने के लिए भी ऐसा कोई ड्रायर होता . . फिर मुझे याद आया आंसुओं का स...