सिर्फ दिल नहीं
मेरी आंखें
मेरे कान
मेरी नाक
मेरे होंठ
मेरे हाथ
मेरे पैर
मेरे शरीर का हर एक रोम चाहता है
तुम्हारे ख्यालों से आजाद होना।
हर रोज मेरे दिमाग में दर्ज की जाती हैं
रिहाई की अर्जियां।
हर रोज फैसले के लिए एक नई तारीख मुकर्रर हो जाती है।
ये सब हर रोज होता है मेरे साथ।
आज जब सोचने बैठी हूं
और लिख रही हूं ये सब
तो अहसास हो रहा है
कि न जाने कितने ही रोज से
अपने साथ नहीं हूं मैं।
मेरी आंखें
मेरे कान
मेरी नाक
मेरे होंठ
मेरे हाथ
मेरे पैर
मेरे शरीर का हर एक रोम चाहता है
तुम्हारे ख्यालों से आजाद होना।
हर रोज मेरे दिमाग में दर्ज की जाती हैं
रिहाई की अर्जियां।
हर रोज फैसले के लिए एक नई तारीख मुकर्रर हो जाती है।
ये सब हर रोज होता है मेरे साथ।
आज जब सोचने बैठी हूं
और लिख रही हूं ये सब
तो अहसास हो रहा है
कि न जाने कितने ही रोज से
अपने साथ नहीं हूं मैं।