तैतीस करोड़ देवी देवता , चार धाम, चार पुराण, ग्यारह उपनिषद, और भी न जाने कितना कुछ. माने तो सब कुछ यही न माने तो कुछ भी नही.लेकिन मेरे ख्याल से ९० फिसद लोग मानते हैं और जो नही मानते वो कमसे कम इस ९० फिसद के शोर में काफी बातें जानते हैं. जानकारी हो भी क्यों न. धारावाहिक बन चुके हैं, फिल्मे बन चुकी है. किताबे तो है ही. एक नाम आप ने भी जरूर सुना होगा दरअसल नाम तो दो हैं लेकिन दोनों इस तरह जुड़े हैं की उन्हें एक ही कहा जाता हैं ..... राधाकृष्ण. मेरा मुद्दा भगवान् या उनके अस्तित्व पर चर्चा करने का नही था लेकिन कुछ दिन पहले बातों बातों में एक ऐसी बात निकाली की उसने बात करने के लिए उत्साहित किया ... राधा कृष्ण का नाम एक अमर प्रेम कहानी की पहचान है. दो लोग जो एक ही थे, जो मिलकर भी जुदा रहे. जो एक दुसरे के बिना अधूरे है जो अलग है लेकिन जिन्हें सब एक दुसरे के साथ से ही जानते हैं. आज के ज़माने में तो ऐसी हकीकत की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है ..और अगर ये कल्पना कही सच होती नजर आये तो यक़ीनन इबादते गौर है ...लेकिन इबादत के इस रिश्ते पर एक जवान दिल ने सवाल उठाया है. जाने क्यों मुझे ये अजीब भी लगा, नागवार भी फिरभी लग रहा है की इस समय के किसी जवान दिल का ये सबसे जमीनी सवाल है ..सवाल था
राधा कृष्ण का ये रिश्ता
प्यार था
???????
दोस्ती थी
????????
आकर्षण था
या फिर
????????
अटैचमैंट
????????
प्रश्न चिन्ह लग चूका है ?
जवाब आप भी दे सकते है और आप भी यानि वो भी जो मानते है और वो भी जो सिर्फ जानते है
लेकिन जवाब दीजियेगा जरूर. बहुत सारे जवान दिलों का सवाल है ........जवाब के इन्तजार में ....हिमानी