आगे बढ़ना किसे अच्छा नही लगता ....लेकिन ऐसे वक़्त में जब कदम लड़खड़ाने लगे तब .........................................
वापसी का विकल्प होना वरदान सरीखा हो जाता है ........वर्ना तो लौटना आखिर कौन चाहता है बीच सफ़र से
गुरुवार, 13 मई 2010
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8 टिप्पणियां:
ji bilkul sahi....
kunwar ji,
its beautiful
वाकई लौटना कौन चाहता है
पर एक स्थिति में लौटना चाहता है -- अगर बचपन वापस मिल जाये तो !!!!!!!!!
वाह! कम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह गए!
solah aane sach baat kahi...
बहुत खुशी हुई जानकार की आपके पास विकल्प है ,वर्ना कई लोग तो रास्ता ही खोजते रहते है
गहन जीवन दर्शन छुपा है इन पंक्तियों में..
लोगो को शब्दो मै ढालना मैने तो आपसे सीकः लिया है ,आशा है ल लोग भी सीखे !
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