अभी कुछ दिन पहले समाजवादी पार्टी का घोषणा पत्र जारी हुआ था जिसमे कहा गया था की यदि उनकी सरकार आई तो हिन्दी भाषा को मुख्यधारा में लाया जाएगा अंग्रेजी का जोरशोर ख़तम किया जाएगा कंप्यूटर के इस्तेमाल का भी विरोध किया गया ...................................................................................
घोषणा पत्र जारी होने के बाद इन बातों का भी उतना ही विरोध किया गया जितना पार्टी ने अंग्रेजी भाषा और कंप्यूटर का किया था ............................
बात इतनी एकतरफा नही है चारों तरफ़ जुगलबंदी हुई और ढेरो निष्कर्ष सामने आए ...............विपक्षी दलों ने सर्वविदित लहजे में आलोचना के पुल बाँधे तो जनता के बीच भी कुछ नकारात्मक सी प्रतिक्रिया हुई अंग्रेजी और कंप्यूटर के बिना रहना!!!!!!!!!! ये सोचना भी हमारे प्यारे भोले भाले भारतवासियों के लिए अजीब और इतेफाक न रखने वाली बात हो गई है
दरअसल भारत में भाषा का सवाल इस कदर उलझ और बिगड़ गया है किं निकट भाविश्यें में उसका कोई समाधान नजर नही आता और अगर कोई समाधान के सा का भी जिक्र करता है वो दा से दुश्मन हो जाता है
क्योंकि हिन्दी सिर्फ़ गरीबों की भाषा है और अमीरों से देश चलता है ...........हिन्दी दिवस आने पर वो हिन्दी के ग्लोबल होने के दावे तब फीके पड़े नजर आते है जब एक अदद इमानदार और कुशल व्यक्ति को अपनी नौकरी सिर्फ़ इसलिए छोडनी पड़ती है या छोड़ने पर मजबूर किया जाता है की उसे अंग्रेजी नही आती है अपने देश में रहकर ऐसा पराया ऐसा सोतेला पण हर दिन लोग सहते है ................सोतेली माँ के आ जाने से जैसे बचे का विकास रुक जाता है वैसे अंग्रेजी के परवान चढ़ने से हिन्दुस्तान के हिन्दी भाषी कहीं खोने को मजबूर हो रहे है
घर में आज बचों को लाल रंग का गोल सा दिखने वाला एक फल दिखाकर ये नही बताया जाता की ये सेब है ये रटवाया जाता है की थिस इस अन एप्पल .....................जब मैं कुछ बच्चों को टूशन पढाती थी तब अक्सर बच्चे इंग्लिश समझ लेते थे और अक्सर हिन्दी को समझाने के लिए उन का अंग्रेजी अनुवाद उन्हें बताना पड़ता था क्योकि उनके अभिभावकों ने उज्जवल भविष्ये की कामनाएं सँजोकर उन्हें अंग्रेजी माध्यम वालें स्कूलों में डाला है जहाँ अंग्रेजी में बात न करने पर जुर्माना लिया जाता है ............................अब ऐसे माहौल में mulayam जी के इस vichaar का samarthan करने valon की tadaad का ungliyon पर gina जाना तय ही है लेकिन क्या अपनी tehjib को chodkar dusron की timaardari करना भी हमने तय ही कर लिया है क्या हम पहले ये सिखा नही सकते की ये लाल फल सेब है जिसे अंग्रेजी में एप्पल kehte है
शुक्रवार, 1 मई 2009
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2 टिप्पणियां:
समाजवादी पार्टी के साहस के लिये उसकी प्रशंशा की जानी चाहिये। कम से कम भाषा को उन्होने एक मुद्दा तो स्वीकारा।
किसी भी देश के नाम का न देखा अनुवाद।
भारत इन्डिया बना हुआ है नहीं कोई प्रतिवाद।
व्यक्तिवाचक संज्ञा के अनुवाद का नियम नहीं है।
इन्डिया भारत बन न पाया इतनी बात सही है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
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