


संस्कारो का,
फेहरिस्त में है इस बार
कुछ ऐसे सवाल
जिनका कोई जवाब नही है
धुंध हटी है इस तरह कि
परदा हटा है आँखों से और .......................................अब कोई ख्वाब नही है
यकीनन , अरमानो के आशियाने सजाने का शोंक अब भी है हमें
लेकीन .....................................इन्त्कामन
इस शोंक को शिकस्त देकर
अपनी शक्सियत पर इतराते भी हम ही है
करते है बातें बहारों की
सुनते है किस्से जन्नत के
लेकिन ...................................मन्नत में इन्हे मांग ले कैसे ????????
खुशियों के इस क़र्ज़ से डरते भी हम ही है
पा न सके उसे तो हासिल करने की सोची
मिल न सका वो तो मर जाने की सोची
लेकिन न जाने खुदा की खलिश है
या है मेरी किस्मत का कमाल
उसे भूलने कि कोशिश में
हर पल याद करके !!!!!!!!!!!!!!!
जिए जातें भी हम ही है !!!!!!!!.....................................................
हकीकत में तुम मिल न सके मुझे
इसलिए ख्वाबों में तुमसे मुलाकात करती हूँ
तुम देते नही मेरी किसी बात का जवाब
इसलिए ख़ुद से ही सवालात करती हूँ
न जाने क्यो भूल नही पाती हूँ
वो वजह भी नही मालूम जिसकी
वजह से शामो-सेहर याद करती हूँ
तुम बसंती हवा की तरह आए
और पतझड़ दिखा कर चले गए
लेकिन मैं अब भी झूठी उम्मीद बांधे
सावन का इंतजार करती हूँ
तुमने तीन शब्दों में कर दिया
अपने प्यार का इजहार
मेरे पास तो शब्दों का अथाह सागर है
फिर मैं कैसे बताऊँ की कितना प्यार करती हूँ
उस दिन हैंड ड्रायर से हाथ सुखाते हुए मैंने सोचा काश आंसुओं को सुखाने के लिए भी ऐसा कोई ड्रायर होता . . फिर मुझे याद आया आंसुओं का स...