tag:blogger.com,1999:blog-5451179499806631508.post4026003576123111497..comments2023-10-25T02:31:20.275-07:00Comments on अति Random: घर लौटने का डर .......अति Randomhttp://www.blogger.com/profile/04443001003779463643noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5451179499806631508.post-84072508407873994772011-09-05T07:49:55.287-07:002011-09-05T07:49:55.287-07:00कितनी अजीब बात है एक वक़्त ये कविता मैंने ही लिखी थ...कितनी अजीब बात है एक वक़्त ये कविता मैंने ही लिखी थी जब मैं घर के हालातों से परेशान थी और घर जाना मेरे लिए घुटन जैसा हो गया था<br />और अब सिर्फ एक ही तलब रहती है कब छुट्टी मिले और माँ से मिल सकूँ अपने बिस्तर पर सो सकूँ<br />देख सकूँ कि मेरे बिना अकेले कितनी अकेली हो गई हा माँ<br />कब से नही बनाया उसने खीर और हलवा<br />हर बात और जज्बात को सामान में पिरोने से पहले वो करती है मेरे वापस लौट आने का इन्तजार<br />और आज मैं भी तो<br />डरती नही हूँ<br />मरती हूँ घर जाने के लिएअति Randomhttps://www.blogger.com/profile/04443001003779463643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5451179499806631508.post-666640183560978812010-05-05T08:13:31.880-07:002010-05-05T08:13:31.880-07:00इन पंग्तियो को पढ़कर एहसास हो रहा है उन लोगो की तन...इन पंग्तियो को पढ़कर एहसास हो रहा है उन लोगो की तनाब भरी जिंदगी का जो अपनी कम्पनी मै यही सोच कर काम करते है की बस नींद आजाये और आँखे खुले तो अपने उसी पलंग पर हो जहा से दीबार पर लटकी हुई घडी इशारा कर रही हो की कंपनी मै जाने का टाइम आ गयाPrataham Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/16909161699230389559noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5451179499806631508.post-48857261163782962362010-05-05T06:00:11.988-07:002010-05-05T06:00:11.988-07:00जिनसे मिल पाने का महूरत आप का मन नही
उस कम्पनी का...जिनसे मिल पाने का महूरत आप का मन नही <br />उस कम्पनी का मालिक निकालता है जिसमे आप मजदूरी कर रहे है<br /><br />बिलकुल सही..pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5451179499806631508.post-30042104475877069222010-05-05T05:30:14.734-07:002010-05-05T05:30:14.734-07:00bahut gahan abhivyakti.bahut gahan abhivyakti.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5451179499806631508.post-56627889868995237592010-05-05T04:52:23.410-07:002010-05-05T04:52:23.410-07:00छा गये तुस्सी
बेहतरीन कविता लिखी है .
एक नौकरीशुद...छा गये तुस्सी <br />बेहतरीन कविता लिखी है .<br />एक नौकरीशुदा व्यक्ति के भावों को कितनी गहराई से व्यक्त किया है ....बिल्कुल ह्रदय को छूती हुई रचनाअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5451179499806631508.post-45492440982564040552010-05-04T06:19:17.143-07:002010-05-04T06:19:17.143-07:00bahut khub
man ki sari bate likh di
badhaio is ...bahut khub <br /><br />man ki sari bate likh di<br /><br />badhaio is ke liyeShekhar Kumawathttps://www.blogger.com/profile/13064575601344868349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5451179499806631508.post-27567997864311950872010-05-04T05:52:53.778-07:002010-05-04T05:52:53.778-07:00जिनसे मिल पाने का महूरत आप का मन नही
उस कम्पनी क...जिनसे मिल पाने का महूरत आप का मन नही <br />उस कम्पनी का मालिक निकालता है जिसमे आप मजदूरी कर रहे है<br /><br />सुन्दर अभिव्यक्ति, विवशताएँ और घुटन तो नेमते हैंM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5451179499806631508.post-68401625573008918192010-05-04T01:06:54.938-07:002010-05-04T01:06:54.938-07:00... बेहद प्रभावशाली... बेहद प्रभावशालीसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5451179499806631508.post-52004584504253239392010-05-04T01:02:30.842-07:002010-05-04T01:02:30.842-07:00हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com