बुधवार, 18 फ़रवरी 2009

कविता और जिंदगी


कवितायों में जिंदगी

कुछ कहती हुई सी

कुछ अनकही सी

जिंदगी के अर्थ को

कविता के शब्दों में पिरोना

दिल की हर भावना को

तुक और ताल में भिगोना

आसान तो नही होता

जिंदगी में हंसकर

कवितायों में रोना

लेकिन क्या करे????

कविता का ही तो किनारा है

वरना घर में कहा मिलता है कोई कोना

जिंदगी के अभावो को इस तरह

कविता में भावःमिल जाता है

जिस तरह कीचड़ में

होकर भी कमल खिल जाता है

2 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

हिमानी जी,बहुत सुन्दर भाव है।अच्छी रचना है।बधाई।

डॉ .अनुराग ने कहा…

सच कहा ....

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