सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

नैतिकता का अत्याचार

आजकल हमारे कॉलेज में विभिन्न व्यक्तियों से बातचीत का आयोजन करवाया जा रहा है
इसी दौरान हाई कोर्ट की वकील चंद्रा निगम से विमर्श का अवसर मिला अब एक खास बात का जिक्र करुँगी जो इस बीच हुई......... एक छात्र ने पुछा कि
यदि कोई लड़की अभिभावकों के मना करने पर भी बार या पब में जाती है , शराब पीती है,रात को देर से घर आती है तो क्या अभिभावकों के पास उसके खिलाफ कोई अधिकार है सारी कक्षा में हँसी गूंज उठी क्योकि शायद बहुत गंभीर मुद्दों की शुरुवात एक लतीफे से ही होती है पता नही चलता कब एक मजाक हकीकत बनकर सामने आ जाता है खैर ये दार्शनिक बातें एक तरफ़ रखते है अभी
चंद्रा जिन ने भी फ़ौरन सवाल का जवाब दिया की यदि लड़की १८ वर्ष से अधिक आयु की है तो अभिभावक के पास कानूनी रूप से उससे रोकने का कोई अधिकार नही है अब बात बिल्कुल साफ़ थी लेकिन ये साफ़ बात कुछ बुद्धिजीवी लोगो को बिल्कुल समझ नही आती १८ वर्ष से अधिक आयु से अभिप्राय है की व्यक्ति अपना भला बुरा ख़ुद समझता है जबरन उस पर कुछ थोपा नही जा सकता
मंगलोर में हुई घटना से हम सभी वाकिफ है
अब इस पर स्वस्थ्य मंत्री रामदास का बयान पढिये ------
पब कल्चर भारतीयता के खिलाफ है
एक बात तो सीधे तौर पर समझ आती है की शराब ,बार ,पब ये सब अगर ग़लत है तो फिर सिर्फ़ महिलोयों के लिए नही पुरषों के लिए भी है
जिस संस्कृति की दुहाई देकर ये तथाकथित नेता हंगामा करते है शायद उसके इतिहास से वाकिफ नही है वो हमारी ही संस्कृति की तस्वीर है जहाँ अप्सराएँ नृत्य करती थी और राजा महाराजा मंद्दिरा रस में
इसकी वजह से देश का युवा वर्ग बड़ी संख्या में शराब पीने लगा है उन्होंने कहा भारत में ४० फीसदी सड़क दुर्घट्नाये नशे में गाड़ी चलने के कारन होती है हालिया सर्वे में खुलासा किया गया युवायों का ६० फीसदी शराब पीने लगा है
अब मंत्री जी ये बताये की शराब पीने का कारन क्या है जाहिर तौर पर उनके स्त्रोत जो की बार,पब और शराब के ठेकों के रूप में हर जगह खुलें है और इन्हे लाइसेन्स भी सरकार ही देती है यदि जनता की सेहत की इतनी ही चिंता है तो इन्हे बंद कर देना चाहिए जो करने का सरकार कभी सोचती भी नहीं है
श्री राम सेना के जिन लोगो ने इस घटना को अंजाम दिया है उनका कहना है की उन्होंने बिल्कुल ठीक किया है वो चाहते है की महिलाएं ऐसी जगहों पर न जायें, शाम होने से पहले घर वापस आ जाए औए शराब पीना उनके लिए बिल्कुल ग़लत है
अबसही ग़लत के बारें में मुझे इन बुद्धिजीवियों जितनी समझ तो नही है लेकिन
डूबे रहते थे वो हमारा ही इतिहास है जहाँ अजंता अल्लोरा की गुफाओं ,खजुराहो की शिल्प कला में नग्नता के दर्शन होते है ,हमारी पौराणिक कथाएँ जहाँ कामदेव और रति को कामुकता का देवत्व प्राप्त है
तो संस्कृति की दुहाई देना तो यहाँ सही नही ही लगता बेशक आचार विचार सिखाया जा सकता है लेकिन इस तरह आत्याचार करके तो ये हिंदुत्व के पहरेदार आतंक फैला रहें है इस एक घटना ने काफी सारी परते खोल दी है दूसरी बात जो सामने आई की इस घटना के लिए उत्तरदायी लोगो को जमानत दे दी गई है हलाकि जमानत मिल जन कानूनी प्रक्रिया का एक अंग है लेकिन इस जमानत और ऐसे अत्याचारियों के कुले आम घुमने का एक कारन हमारा सामाजिक परिवेश है जहाँ यदि लड़किया अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के लिया आगे आकर इन तथाकथित पहरेदारों के खिलाफ लडाई लड़ना चाहती है तो उन्हें न्याय की मंशा पलने से पहले ये ध्यान करना पड़ता है की वो एक लड़की है हमारा ये समाज घटना के लिए उत्तरदायी लोगो को भूल जाएगा लेकिन उस लड़की का नाम बदनामी की फेहरिस्त में युगों युगों के लिए दर्ज कर दिया जाएगा
सब कहते है वक़्त बदल रहा है लेकिन फिर कुछ ऐसा हीओ जाता है एक एहसास फिर जीवन पा लेता है की आजतक हम उसी लाकर को पीट रहे है जिसे लांघकर जमाना आगे निकल चुका है पिछले दिनों मैंने लड़की शीर्षक से एक कविता लिखी जिस पर कुछ लोगो ने कहा की अब लड़कियों की स्थिति बदल रही है लेकिन अब सब कुछ उनके सामने है बदलाव भी और बेदर्दी भी


1 टिप्पणी:

संकेत पाठक... ने कहा…

हिमानी जी,
मै मंगलोर की घटना का समर्थन नहीं कर रहा हूँ, लेकिन जिस नैतिकता की दुहाई देकर आप भारतीय संस्कृती को ग़लत साबित करने में लगीं है दरअसल आप उस संस्कृती के बारे में कुछ जानती ही नहीं है. खजुराहो की जिस शिल्प कला में आप को नग्नता दिखती है, उसी कला ने दुनिया को सही मायने में कामक्रीड़ा करना सिखाया है..और रही बात पब संस्कृति तो मुझे नही लगता की आप को भी १०० लोगों के सामने शराब पीकर नग्नता प्रर्दशित करना अच्छा लगेगा..

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